दम तोड़ रही हैं सिसकियाँ किसलिएl
ख़ामोखां जल रही हैं बस्तियां किसलिएl
इस फिजा में मिलाया है ज़हर किसने,
बे-मौत मर रही हैं तितलियाँ किसलिएl
हवा में उड़ रही हैं मछलियाँ किसलिएl
आसमान से गरजकर इंसान पर गिरती हैं,
खूनी-सी हो रही हैं बिजलियाँ किसलिएl
दिन में लहरा रही हैं तख्तियां किसलिएl
इधर बिगड़ रहे हैं हालात दिन-ब-दिन,
और उधर हो रही हैं मस्तियाँ किसलिएl
परिचय : आदिल सरफ़रोश,फर्रुखाबाद(उत्तरप्रदेश) में रहते हैंl आपको गज़ल लिखना बहुत पसंद हैl