बेख़ौफ़ हो रही हैं पुतलियाँ किसलिए, दम तोड़ रही हैं सिसकियाँ किसलिएl जब हिन्दू भी अपने हैं,मुसलमां भी अपने, ख़ामोखां जल रही हैं बस्तियां किसलिएl इस फिजा में मिलाया है ज़हर किसने, बे-मौत मर रही हैं तितलियाँ किसलिएl इंसान तैरता पानी में,पंछी चलते ज़मीं पर, हवा में उड़ रही हैं […]