तपती धरती

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deenesh prajapat

धरती तपती देखी तो मानव घबरा गया,
शिकायतों का पुलिंदा लेकर कैलाश पर्वत आ गयाl

कैलाश पर पार्वती संग बैठे थे भोले,
मानव भोले से ऎसे बोले-
बचा लो प्रभु अब नहीं सहन हो पाएगा,
गर्मी इतनी बढ़ गई कि `एसी` भी फेल हो जाएगा।

इतनी सुन भोले ने सूर्य देव को बुलवाया,
सूर्यदेव कैलाश पर्वत आए और फिर मुस्कुराए..
भोले बोले-मानव शिकायत ले आया है,
तुझे कोई गम नहीं तू क्यों मुस्कुराया आया है।

सूर्य बोला-इसमें मेरी क्या गलती है,
मानव इतना प्रदूषण फैला रहा है..
जिससे धरती बेवजह तपती है।

                                                                            #दिनेश कुमार प्रजापत

परिचय : दिनेश कुमार प्रजापत, दौसा जिले(राजस्थान)के सिकन्दरा में रहते हैं।१९९५ में आपका जन्म हुआ है और बीएससी की शिक्षा प्राप्त की है।अध्यापक का कार्य करते हुए समाज में मंच संचालन भी करते हैं।कविताएं रचना,हास्य लिखना और समाजसेवा करने में आपकी विशेष रुचि है। आप कई सामाजिक संस्थाओं से भी जुड़े हुए हैं।

matruadmin

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3 thoughts on “तपती धरती

  1. bahut ache kaviraj
    Apni lekhni ka chetra or badao
    Samajik k sath rajnetik moode bhi uthao

  2. दिनेश जी आपकी कविता बड़ी अच्छी है हम आपको इस के लिए बहुत धन्यवाद देते है विकाश कुमार पोटर दौसा

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