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तुम्हें अच्छी नहीं लगती,
पक्षियों की स्वच्छंद उड़ान
क्योंकि-तुम,
उड़ ही नहीं सकते।
तुम्हें भाता नहीं है,
पक्षियों का निडर
होकर चहकना,
क्योंकि-तुम
जहाँ गंभीर हो,
वहाँ महज़ दिखावा है।
तुम्हें पसंद नहीं आता,
पक्षियों का कतारवद्ध
अनुशासन,
क्योंकि-तुम जहाँ पर
सख्त़ हो,वहाँ
साम्राज्य है तुम्हारे ही
अड़ियल स्वभाव का।
तुम बदलो या,
न बदलो
पक्षी उड़ान भरते रहेंगे,
वे चहकते भी रहेंगे
वे अनुशासित भी रहेंगे।
क्योंकि-वे अच्छी तरह
से जानते हैं कि,
मेहनत कभी
बेकार नहीं जाती॥
#ईश्वर दयाल गोस्वामी
परिचय: ईश्वर दयाल गोस्वामी पेशे से शिक्षक हैं। आप कवि होने के साथ ही भागवत कथा भी बांचते हैं। जन्म तिथि- ५ फरवरी १९७१ तथा जन्म स्थान- रहली है। हिन्दी सहित बुंदेली भाषा में भी २५ वर्ष से काव्य रचना जारी है तो, आपकी कविताएँ समाचार पत्रों व पत्रिकाओं में भी प्रकाशित होती हैं। काव्य संग्रह ‘संवाद शीर्षक से’ प्रकाशनाधीन है। मध्यप्रदेश के सागर जिले की तहसील रहली के ग्राम छिरारी में बसे हुए श्री गोस्वामी की रुचि-काव्य रचना के अलावा अभिनय में भी है। आपको समकालीन कविता के लिए राज्य शिक्षा केन्द्र(भोपाल) द्वारा २०१३ में राज्य स्तरीय पुरस्कार दिया गया है। साथ ही नई दिल्ली द्वारा रमेश दत्त दुबे युवा कवि सम्मान भी प्राप्त किया है।
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Tue Oct 3 , 2017
सृष्टा की नरम कल्पना नारी, सॄष्टा की ओर चाहना नारी। सृष्टा की आराध्या नारी, सॄष्टा मन भावना नारी॥ मानव मन की अर्चना नारी, नित्य प्रति उपासना नारी। जीवन की है भूमि नारी, सुंदर मन की उर्मि नारी॥ एक हवा का झोंका नारी, मृगतृष्णा-सा धोखा नारी। रौरव नर्क द्वार है नारी, […]
रचना प्रकाशन के लिए धन्यवाद ।
साथ ही निवेदन है कि जीवन परिचय में मेरे गाँव का नाम छारी लिखा गया है जबकि सही नाम छिरारी है इसलिए आगे की रचनाओं के प्रकाशन में कृपया गाँव का सही नाम छिरारी ही लिखें ।
अति सुंदर कविता। बधाई हो।
संशोधन कर दिया है ।
सादर धन्यवाद