क्षमापना जीवन का महत्वपूर्ण कर्तव्य

0 0
Read Time4 Minute, 30 Second

‘मुझे क्षमा कर दिजिए मेरी वजह से आपको दुःख पहुँचा’ यह कहना बड़े साहस का काम है।शायद इसी लिए क्षमा को वीरों का आभूषण कहा गया है। क्षमा करना उतना कठिन नहीं है जितना क्षमा मांगना। गलती करना मानव की स्वाभाविक प्रवृत्ति है। हम सभी अहंकार या प्रमादवश गलती करते हैं, किसी की अवहेलना करते हैं, किसी का अपमान करते हैं। लेकिन हमें अपनी गलती का अहसास हो गया हो तो साफ मन से क्षमा याचना करके गलती से होने वाले गंभीर परिणामों का टाला जा सकता हैं।

क्षमा एक ऐसा शब्द है, जो ये दर्शाता है कि आप अपने किये किसी गलत काम के लिए शर्मिंदा हैं और साथ ही इस एक शब्द का इस्तेमाल करके आप, गलती हो जाने के बाद किसी भी रिश्ते को सुधार भी सकते हैं। क्षमायाचना का भाव तभी आता है, जब दुखी हुआ इंसान, उस सामने वाले इंसान के साथ अपने रिश्तों को सुधारने की कोशिश करना चाह रहा है, जिसे दुःख हुआ है। क्षमा मांगना कोई विशेष कला या ज्ञान नहीं। यह तो केवल इस पर निर्भर है कि आप स्पष्ट रूप से सत्य बोल पाते हैं कि नहीं। जब हमें वास्तव में अपने कार्य पर पछतावा होता है, तो सही शब्द स्वत: ही बाहर आने लगते हैं और क्षमा मांगना अत्यंत सरल हो जाता है।

वास्तव में क्षमा याचना विश्वास का एक पुनःस्थापन है। इस के द्वारा आप यह कह रहे हैं कि मैंने एक बार आप का विश्वास तोड़ा है किंतु अब आप मुझ पर भरोसा कर सकते हैं और मैं ऐसा फिर कभी नहीं होने दूँगा। जब हम एक भूल करते हैं, तो दूसरे व्यक्ति के विश्वास को झटका लगता है। अधिकतर सकारात्मक भावनाओं की नींव विश्वास ही होती है।

एक सच्ची क्षमा याचना में “यदि” और “परंतु” जैसे शब्दों का कोई स्थान नहीं होता। यह कहना कि आप ने ऐसा क्यों किया इसका भी कोई अर्थ नहीं। सर्वश्रेष्ठ क्षमा याचना वह है जहाँ आप यह पूर्ण रूप से समझें, महसूस करें तथा स्वीकार करें कि आप के कार्यों ने अन्य व्यक्ति को ठेस पहुँचाया है। एक कारण या औचित्य दे कर अपनी क्षमा याचना को दूषित न करें। यदि आप सच्चे दिल से क्षमा नहीं मांगते हैं तो आप अपनी क्षमा प्रार्थना का नाश कर रहे हैं। इस से दूसरे व्यक्ति को और अधिक कष्ट होगा। आप एक क्षमा याचना अथवा एक बहाने में से केवल एक को ही चुन सकते हैं, दोनों को नहीं।

संसार के प्रत्येक धर्म और दर्शन में क्षमा को आत्मोन्नती के लिए महत्वपूर्ण माना गया है। जैन धर्म में क्षमापना को जीवन का एक महत्वपूर्ण कर्तव्य बताया गया है। ‘क्षमापना का अर्थ है क्षमा मांगना भी और क्षमा करना भी।‘ जीवन में कोई भी व्यवहार हो जब परस्पर रूप से दोनों और से निभाया जाता है तो ही सार्थक होता है। एक सच्ची एवं निष्कपट क्षमा याचना वह होती है जिस में आप अपने अपराध को पूर्ण रूप से स्वीकार करते हैं। किंतु यदि अन्य व्यक्ति आप की क्षमा प्रार्थना स्वीकार नहीं करते है तो भी आप प्रयास जारी रख सकते है। एक क्षमा के बदले हमेशा एक और क्षमा आती है, फिर भले ही वो आपके द्वारा ही किसी बात का अहसास होकर आए या फिर सामने वाले इंसान के द्वारा, हो सकता है कि उसे लगे, कि इस बहस में वो भी बराबर के हिस्सेदार हैं, और वो आपसे क्षमा माँगने लगें। आप भी क्षमा करने के लिए तैयार रहें।

#संदीप सृजन

उज्जैन

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

ब्रह्माकुमारीज भाई बहनों ने ली हिमालय बचाने की शपथ

Mon Sep 2 , 2019
रुड़की| राष्ट्रीय हिंदी दैनिक हिंदुस्तान द्वारा उत्तराखंड में चलाए जा रहे राज्य व्यापी अभियान के तहत हिंदुस्तान टीम ने ब्रह्माकुमारी पाठशाला आदर्श नगर पहुंच कर ब्रह्माकुमारीज संस्था से जुड़े भाई बहनों को प्रधानमंत्री के स्वच्छता अभियान व पर्यावरण संरक्षण के लिए हिमालय बचाओ अभियान की जानकारी दी।ब्रह्माकुमारी पाठशाला प्रभारी बीके […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।