तुम जब चले गए तो फिर हमें आए याद बहुत

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salil saroj
 तुम जब चले गए तो फिर हमें आए याद बहुत
जिस गुलशन को बसाया था,हुआ वो बर्बाद बहुत
सब गलियाँ है सूनी,सब रास्ते हो गए उदास बहुत
दिन है मेरा सोया सोया,और जागा है रात बहुत
जहाँ तक देखा था वो भी कम कुछ नहीं था
लेकिन कई अफसाने छिपे थे उसके बाद बहुत
जब था मौका तो रोक नहीं पाए जाते कदमों को
अब होगा भी क्या करके यूँ भी  फरियाद बहुत
अगर रोने से ही खुश हासिल है तो हैं हम शायद बहुत
तुम्हें समझ नहीं पाया,दिल हमारा था सैय्याद बहुत
#सलिल सरोज

परिचय

नई दिल्ली
शिक्षा: आरंभिक शिक्षा सैनिक स्कूल, तिलैया, कोडरमा,झारखंड से। जी.डी. कॉलेज,बेगूसराय, बिहार (इग्नू)से अंग्रेजी में बी.ए(2007),जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय , नई दिल्ली से रूसी भाषा में बी.ए(2011),  जीजस एन्ड मेरीकॉलेज,चाणक्यपुरी(इग्नू)से समाजशास्त्र में एम.ए(2015)।

प्रयास: Remember Complete Dictionary का सह-अनुवादन,Splendid World Infermatica Study का सह-सम्पादन, स्थानीय पत्रिका”कोशिश” का संपादन एवं प्रकाशन, “मित्र-मधुर”पत्रिका में कविताओं का चुनाव।सम्प्रति: सामाजिक मुद्दों पर स्वतंत्र विचार एवं ज्वलन्त विषयों पर पैनी नज़र। सोशल मीडिया पर साहित्यिक धरोहर को जीवित रखने की अनवरत कोशिश।

matruadmin

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