प्रेम के बेर

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avinash tiwari
खाके मीठे बेर शबरी के
     प्रेम तत्व अपनाया था।
छोड़ दुर्योधन के पकवान
साग विदुर का खाया था।।
शबरी की भक्ति राम ने
     सहज प्रेम स्वीकारा था,
नवधा भक्ति शबरी के
    रोम रोम समाया था।।
प्रभु भाव के भूखे
       भक्ति से बंधे जाते हैं।
देख सुदामा को मिलने
प्रभु कैसे दौड़े आते हैं।
खाके चावल की दो मुट्ठी
दो लोक का दान दिया
कृष्ण सुदामा की मित्रता
ने जीवन को आयाम दिया
प्रेम जगत का सार तत्व है
जीवन का आधार है।
भक्ति में शक्ति निहित है
प्रभु का व्यापक विस्तार है
#अविनाश तिवारी
जांजगीर चाम्पा(छत्तीसगढ़)

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