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कर दिया जब सभी ने पराया हमें|
थाम कर आपने तब निभाया हमें||
दर्द से दोस्ती हो गयी थी सुरू-
बेवजह आपने गुदगुदाया हमें|
अश्क भी हो गये मौन अब रूठकर-
प्यार में आपने यूँ रुलाया हमें|
मयकशी की न तहज़ीब थी साथियों-
दर्देदिल ने श़राबी बनाया हमें|
शूल की नोक सी है अजब यह डगर –
इश्क ने आज तारक चलाया हमें |
तामेश्वर शुक्ल ‘तारक’
सतना (मध्यप्रदेश)
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