ख्वाबों का खैर

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ajay prasad

ख्वाबों का खैर मकदम ज़रूरी है
किसी हसीं की नजरें करम ज़रूरी है ।

उम्रे सफ़र के रास्ते कटे आराम से
ज़िन्दगी में कोई हमदम ज़रूरी है ।

तू रहे,मै भी रहूँ और ये कायनात भी
दिलों में मुहब्बत ,ऐ सनम ज़रूरी है ।

फिक्रे दूनियाँ में सर खपाने के लिए
ज़िन्दगी में होना चंद बहम ज़रूरी है ।

चाहे जितना भी मन मुटाव हो खुद से
लेकिन दूसरों के लिए रहम ज़रूरी है ।

#अजय प्रसाद 
नालंदा(बिहार )

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

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