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ख्वाबों का खैर मकदम ज़रूरी है
किसी हसीं की नजरें करम ज़रूरी है ।
उम्रे सफ़र के रास्ते कटे आराम से
ज़िन्दगी में कोई हमदम ज़रूरी है ।
तू रहे,मै भी रहूँ और ये कायनात भी
दिलों में मुहब्बत ,ऐ सनम ज़रूरी है ।
फिक्रे दूनियाँ में सर खपाने के लिए
ज़िन्दगी में होना चंद बहम ज़रूरी है ।
चाहे जितना भी मन मुटाव हो खुद से
लेकिन दूसरों के लिए रहम ज़रूरी है ।
#अजय प्रसादनालंदा(बिहार )
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