राम का नया स्कूल

1 0
Read Time5 Minute, 46 Second
      राम एक नवी कक्षा का विद्यार्थी है और हमेशा से पढ़ने लिखने में बहुत ही अच्छे दिमाग का रहा है।आठवी कक्षा तक उसकी अटेंडेंस हमेशा पूरी रहती थी और उसकी पिछली कक्षा आठवीं में तो उसकी अटेंडेंस लगभग 97% थी।

      इससे उसकी टीचर भी उससे बहुत खुश रहते थे।हमेशा पढ़ाई में अव्वल रहने वाला राम हमेशा बहुत अच्छे नंबरों से पास होता था।इस साल नौवीं कक्षा में उसके माता-पिता ने उसका एडमिशन दूसरे स्कूल में करा दिया।क्योंकि उसका पिछला स्कूल आठवीं कक्षा तक ही था।

      नवी कक्षा में एक नया स्कूल,एक नया माहौल सब कुछ बदल गया था।राम को भी अपनी नई किताबों के साथ नए स्कूल में जाना बहुत ही उत्साहवर्धक लग रहा था।राम के मां बाप भी बहुत खुश थे।राम ने एक बार फिर अपनी पढ़ाई पूरे ध्यान से करनी शुरू कर दी।

         नये स्कूल में राम नए-नए मित्र बने।टीचर भी सारे नए थे लगभग 2 महीने की कक्षा के बाद राम का स्कूल जाना कुछ कम सा हो गया और 90% से ऊपर हाजिरी रखने वाला राम धीरे-धीरे स्कूल बहुत ही कम जाने लगा।राम के माता पिता ने शुरू-शुरू में यह बात ध्यान नहीं दी लेकिन धीरे-धीरे उन्हें लगने लगा कि पता नहीं क्यों राम स्कूल जाने से बचने लगा है।

       राम पढ़ने लिखने में तो बहुत ही उत्तम बच्चा था।किंतु अपने मन की बातों को अपने मां-बाप के साथ शेयर नहीं कर पाता था।ना जाने राम के दिमाग में क्या चल रहा था लेकिन उसने स्कूल आना-जाना बहुत कम कर दिया था।

      आखिर एक महीने बाद राम के पीटीएम का समय आ गया।राम के पिता राम की क्लास टीचर से मिलने पहुंचे।तब क्लास टीचर ने राम के पिता को बताया।कि राम कक्षा से बहुत ज्यादा गायब रहने लगा है।स्कूल में आता है तो खोया-खोया सा रहता है। आप उससे जानने की कोशिश करें कि वह पढ़ाई में इतना क्यों पिछड़ता जा रहा है।

     राम के पिता भारी मन के साथ क्लास टीचर के पास से उठे और धीरे-धीरे अपने घर की तरफ जाने लगे।घर जाकर बडी ही समझदारी से राम के पिता ने राम से पूछा बेटा क्या हुआ,क्या तुम्हारा मन पढ़ाई में नहीं लग रहा है।राम कुछ देर तो चुप रहा लेकिन कुछ देर बाद राम की आंखों में आंसू आने लगे।अचानक राम को रोता देखकर राम के पिता का मन दुखी हो गया।उन्होंने पूछा बेटा बताओ मुझे क्या बात है।क्या किसी ने कुछ कहा है।

       तब राम ने अपने पिता को बहुत डरते हुए बताया पापा इस स्कूल में सब बड़े-बड़े घरों के बच्चे आते हैं जो बहुत अच्छे पैसे वाले हैं।कुछ अपनी गाड़ियों से आते हैं और कुछ अपनी अपनी बाइक से आते हैं। लेकिन मैं अक्सर या तो पैदल जाता हूँ  या आप मुझे छोड़ देते हो।

      यह सब देख कर मुझे कक्षा के सभी विद्यार्थी गरीब-गरीब कहकर चिढ़ाते हैं।राम के पिता को समझते कुछ भी देर न लगी कि राम अपनी गरीबी को लेकर परेशान है।तब राम के पिता ने उसे समझाया बेटा आगे बढ़ने के लिए हर व्यक्ति को कहीं ना कहीं से शुरुआत करनी पड़ती है।

     तुम अपने आप को इस तरीके से तैयार करो।इन छोटी-छोटी बातों से तुम्हें कभी परेशान ना होना पड़े और एक दिन ऐसा आए तुम इन सब बच्चों से आगे निकलो और अपनी कक्षा में नंबर एक पर रहकर सबसे ऊपर खड़े दिखाई दो।

      राम के मन की परेशानी काफी हद तक दूर हो गई और उसने पूरी लग्न से अपनी पढ़ाई शुरू कर दी।अपनी नवी और दसवीं कक्षा में अपनी मेहनत के साथ राम ने पूरे स्कूल को टॉप किया और बड़ी-बड़ी गाड़ियों में आने वाले बच्चों के सामने खड़े होकर टॉपर की ट्रॉफी लेते हुए अपने लिए सभी बच्चो को अपने लिए ताली बजाने के लिए मजबूर कर दिया।

       राम के पिता की छाती गर्व से चौड़ी हो गई और उन्होंने राम को खुशी से गले लगा लिया।राम अपने पिता के सही मार्गदर्शन से एक बार फिर कक्षा में सबसे आगे बढ़ गया।पहले की तरह उसकी कक्षा के सारे साथी उसके पास आकर बाते करते थे।लेकिन अब उससे पढ़ाई अच्छी करने के लिए पूछा करते थे।

     *अपनी पढ़ाई की बदौलत अब राम दूसरे बच्चो के माँ बाप के लिए एक उदाहरण बन चुका था।अब सभी बच्चो के माता पिता अपने बच्चो को राम जैसा बनने के लिए कहते है।*

नीरज त्यागी
ग़ाज़ियाबाद ( उत्तर प्रदेश ).

matruadmin

Next Post

दुर्गा माँ से प्रार्थना

Mon Mar 30 , 2020
हे ! दुर्गा माता,विनती करते तुमसे आज | कोरोना से बचाईये. भारत को तुम आज || रहे सभी सुखी संसार में, दुखिया रहे न कोय | करे प्रार्थना आप से,कोरोना किसी को न होय || करे सब पूजा घर में ही ,बाहर न जाने कोय | जो घर से बाहर […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।