पल पल तरसते थे,
उस पल के लिए।
वो पल ही रुका,
कुछ पल के लिए।
सोचा था उसे जिंदगी का,
हसीन सपना बना लेंगे।
पर क्या करे वो पल ही,
रुका कुछ पल के लिए।।
प्यार तो हर कोई करता है।
क्या प्यारको कोई समझता है।
तीन अक्षर का शब्द क्या कहता है ?
कितने लोग इसको समझता है।
प्यार को दिखाया नही जाता।
दिल में मेंहसूस किया जाता है।
जो दिल से मेंहसूस करते है।
और उसकी भावनाओ को समझते है/
सही अर्थो में वो ही प्यार करते है।।
परस्थितियां अनुकूल हो तो,
सब कुछ अच्छा होता है।
परस्थितियां विपरीत हो तो,
सब कुछ बदल जाता है।
सही योध्दा वो होता है,
जो विपरीत परस्थितियो को,
अपने अनुकूल कर के,
जंग को जीत लेता है।
वही सच्चा योध्दा कहलाता है।।
कितनो को तुम समझाओगे ।
कितनो को तुम मनाओगे।
ये दुनिया बड़ी जालिम है।
अपने बनकर अपनोको छलते है।
दोस्त होकर भी दुश्मनी निभाते है।
ऊपर से तो अपने बने रहते है।
पर अंदर से जड़ें को खोदते है।।
#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।