अपना क्या है?
सब है तेरा
सामने, तू है
फिर क्यो हो अंधेरा?
फासले बढ गये
रास्ते बदल गये
छा गया अंधेरा
अपना क्या है?
सब है तेरा
सामने, तू है
फिर क्यो हो अंधेरा?
दूर बस्तियों में
है बसेरा है बसेरा
मुश्किलो का रोज
सामना मेरा सामना मेरा
अपना क्या है?
सब है तेरा
सामने, तू है
फिर क्यो हो अंधेरा?
रास्ते अनेक है
पर मंजिल एक
फिर क्यूँ है क्यूँ है?
कटुता का डेरा
अपना क्या है?
सब है तेरा
सामने तू है
फिर क्यो हो अंधेरा?
चलते फिरते
पर बेजान लगते
कर्म और वाणियो से
निष्प्राण से लगते
स्वार्थ की भूख ने
जबसे डाला डेरा
अपना क्या है?
सब है तेरा
सामने तू है
फिर क्यो हो अंधेरा?
बिष भरा फन उठाये
चहु ओर फैले बिषैले अरमान
तिनका तिनका विखर
जाने को बेताव रहता इन्सान
अपना क्या है?
सब है तेरा
सामने तू है
फिर क्यो हो अंधेरा?
“आशुतोष”
नाम। – आशुतोष कुमार
साहित्यक उपनाम – आशुतोष
जन्मतिथि – 30/101973
वर्तमान पता – 113/77बी
शास्त्रीनगर
पटना 23 बिहार
कार्यक्षेत्र – जाॅब
शिक्षा – ऑनर्स अर्थशास्त्र
मोबाइलव्हाट्स एप – 9852842667
प्रकाशन – नगण्य
सम्मान। – नगण्य
अन्य उलब्धि – कभ्प्यूटर आपरेटर
टीवी टेक्नीशियन
लेखन का उद्द्श्य – सामाजिक जागृति