आरंभ या अंतिम संस्कार

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nanda pandey
कितनी सहज और स्वाभाविक
इच्छा थी तुम्हारी
माफ कर दो मुझे….
कई दिनों का ठहरा हुआ आवेग
अजीब सी बेबसी और एक कचोट
जो उमड़-धुमड़ कर पिघलने
को तैयार थी
संवेदना के इतिहास से घिरे
स्नेहसिक्त बादल आज बरस तो गए
पर बूंदें धरातल तक नहीं आई
त्रिशंकु की तरह
तुम्हारे ही अधखुले अधरों पर
लटकी रह गई….
आज तुम्हारे अपराध-बोध की
छत्रछाया में रुक कर सुस्ताना
बहुत सुखद लग रहा था मुझे,
तुम लिपटे रहे मुझसे
चंदन की सुगंध की आस में
और मैं तय करती रही
तुम्हारी प्रतीक्षा से उत्सर्ग तक कि दूरी
बाहर आज धरती के आगोश में
‘पारिजात’ भी कुछ पाने की बेचैनी
और खोने की पीड़ा से गुजर रहा था
बिल्कुल मेरी तरह…..
तुम्हारे प्रति उमड़ते प्रेम ने मेरे मन में
सावन के झोंकों का काम किया
मुझे नहीं पता
आज जो कुछ भी घटित हो रहा है
उसमें चाहत नाम मात्र है भी या नहीं
आज कितनी ही ऐसी अनगिनत बातें
रगो-रेशे के साथ
 उभरते और मिटते चले गए
शंशय और संदेह के सारे कांटे
जैसे पलट कर मुझे ही बेधने लगे
भावुकता मूर्खता का पर्याय है!
जानते हुए भी
एक बार फिर मैं,
अप्रमेय प्रेम की खोज में
सबसे सरलतम प्रमेय से छली गई
क्या !?
ये मेरा आरंभ होगा या अंतिम-संस्कार
नहीं जानती मैं…….!
नाम – नंदा पाण्डेय
वर्तमान पता  – रांची(झारखंड)
राज्य- झारखंड
शहर- रांची
शिक्षा- स्नातक
कार्यक्षेत्र- साहित्य और समाजसेवा
विधा – कविता , कहानी और हाइकु
प्रकाशन  – 10 साझा संग्रह
सम्मान – नवांकुर साहित्य सम्मान, साहित्य सारथी सम्मान 2017, युग सुरभि सम्मान 2016
 लेखन का उद्देश्य- भावों की अभिव्यक्ति

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।