हमें भी इंतज़ार है अब, तुम्हारे मुस्कुराने का ।।
तुम्हारे नाम है मेरी ये सारी ज़िंदगानी ।।।
हमें तो शौक है तेरी, बांहों में बिखर जाने का ।।।।
मेरा दिल तो हरदम यूं, तुम्हारा नाम लेता है ।
चाहत की हसीं राहों पर, तुम्हें आवाज़ देता है ।।
दिल तो बहाना ढूंढता है,ख़ुद को मनाने का ।।।
हमें भी इंतज़ार है अब, तुम्हारे मुस्कुराने का ।।।।
घटाओं की तरह तू क्यों ,ऐसी अंगड़ाई लेती है ।
मुझे हर सिम्त मेरी जानम,तू क्यों दिखाई देती है ।।
अभी भी ऐतबार है मुझको, तेरे लौट आने का ।।।
हमें भी इंतज़ार है अब, तुम्हारे मुस्कुराने का ।।।।
जला कर इश्क़ की आतिश में,मेरा इम्तिहान लेती है ।
ये दुनिया प्यार में दीवानों को,
हर दम दर्द देती है ।।
मिटा कर ग़िले दिल करता है, तेरे पास आने का ।।।
हमें भी इंतज़ार है अब, तुम्हारे मुस्कुराने का ।।।।
#डॉ.वासीफ काजी
परिचय : इंदौर में इकबाल कालोनी में निवासरत डॉ. वासीफ पिता स्व.बदरुद्दीन काजी ने हिन्दी में स्नातकोत्तर किया है,साथ ही आपकी हिंदी काव्य एवं कहानी की वर्त्तमान सिनेमा में प्रासंगिकता विषय में शोध कार्य (पी.एच.डी.) पूर्ण किया है | और अँग्रेजी साहित्य में भी एमए कियाहुआ है। आप वर्तमान में कालेज में बतौर व्याख्याता कार्यरत हैं। आप स्वतंत्र लेखन के ज़रिए निरंतर सक्रिय हैं।