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प्यारी बिटिया अविका,
बहुत आशीर्वादl
तुमने कल वीडियो कॉलिंग द्वारा अपने आधुनिक घर और ऑफिस का पूरा अत्याधुनिक समान दिखाया। मन खुश हो गया-सचमुच कितनी सुविधाएं हैं आजकल,हमारा जमाना कुछ और था। तुम तो आधुनिक युग में पैदा हुई हो। तुम्हें तो बहुत से अधिकार और साधन प्राप्त हैं। सबसे बड़ी बात तुम्हारे माता-पिता तुम्हारे साथ हैं। समाज और परिवार,शासन,कानून भी बेटियों के हक़ मे लड़ रहा है। तुम्हें अपने कपड़े से लेकर करियर,जॉब और जीवनसाथी चुनने की भी आजादी मिली हुई है।
मुझे बहुत खुशी होती है जब कोई बेटी गले में मंगलसूत्र की जगह पदक पहनती है। पैरों में पायल की जगह स्पोर्ट्स शूज पहनती है। सिर पर टीके की जगह ताज से सजती है। कंगन वाले हाथों में बंदूक उठती है। कड़छी के साथ कम्प्यूटर चलाती है।खाना पकाने के साथ स्कूल-कॉलेज में टॉप करती है और भी बेटियाँ आकाश से लेकर पाताल को एक करती बेटियों को देखकर बहुत सुकून मिलता है। सलाम है ऐसी बेटियों को,मेरी दुआ है कि,तुम आसमान से भी आगे जाओ।
इन सब आजादियों के बीच जब लड़कियों को बराबरी की अंधी दौड़ में बहकते देखती हूँ। शराब,स्मोकिंग,ड्रग्स,लेटनाइट पार्टियां, पब…क्या यही है नारी स्वतन्त्रता के मायने? इस दुनिया में पुरुषों की बराबरी पर आने के लिए बहुत सारे रास्ते हैं। क्या हम वो सब अपनाकर अपना वर्चस्व स्थापित नहीं कर सकती। पुलिस सर्विस में जाइए,सेना में कमान सम्भालिए,ऐरोप्लेन उड़ाईए, ट्रक चलाइए,पुरुषों के माने जाने वाले खेल खेलिए,आटोमोबाइल सहित सिविल इंजीनियर और भी कई अनगिनत काम ऐसे हैं, जो अब तक पुरुष ही करते आए हैं,उनकी तरफ नजर डालिए और फहरा दीजिए परचम अपनी योग्यता का। न जाने क्यूँ आज की नारियां अपने नारीत्व की गरिमा को गिराने की राह पर चल पड़ी हैं। पुरुषों की बराबरी की अंधी दौड़ में वे स्त्री सुलभ गुणों को नकारने पर तुली हैं। ईश्वर ने हमें खुद के समान सृजन क्षमता,दया,प्रेम,त्याग,सेवा,साहस,त्वरित निर्णय शक्ति,कोमलता के साथ दृढ़ता जैसे असीमित गुणों से परिपूर्ण करके धरती पर भेजा है,ताकि जब भी पुरुष अपनी राह से डिगे या धरती पर कोई संकट आए तो नारियां उसे सम्भाल लें।
गुलाब की अपनी अलग पहचान है,अंदाज है,अपनी महक है,कोमलता है,रंग है,गंध है..उसके पास अपना खुद का इतना कुछ है कि,उसे किसी और की नकल करना जरूरी नहीं है। जरूरत है तो बस खुद की पहचान की,खुद पर गर्व करने की,खुद की खुशबू दूर-दूर तक महकाने की और अपने आसपास बिखरे कांटों से खुद की हिफाजत की। यही बात आज की नारियों के संदर्भ में कही नहीं देखी जा सकती है। स्त्रियों को ईश्वर ने स्वयंमेव इतना अधिक दिया है कि,उन्हें खुद पर गर्व होना चाहिए।
माना कि,जमाना बहुत बदल गया है,लेकिन सोचिए यदि स्त्री सृजन करना छोड़ दे? अपने परिवार की सेवा-सम्मान न करे? दया का भाव त्याग दे? क्या होगा परिवार और समाज का?। वो सब कुछ करो,जो तुम हासिल करना चाहती हो,लेकिन समय आने पर फिर से बेटी,बहन,माँ,भाभी,दीदी,गृहिणी,चाची,मामी और दादी बनकर अपने स्त्री होने का सुख भोगो तथा समाज को नई राह दिखाओ,न कि खुद ही राह से भटक जाओ। आशा है,पत्र में छुपी एक माँ और नारी की भावनाओं को तुम आत्मसात करोगी। एक बार पुनः बहुत सारा आशीर्वाद।
प्यारी बिटिया अविका,बहुत आशीर्वादl
तुम्हारी माँ
सुनयना
#सुषमा दुबे
परिचय : साहित्यकार ,संपादक और समाजसेवी के तौर पर सुषमा दुबे नाम अपरिचित नहीं है। 1970 में जन्म के बाद आपने बैचलर ऑफ साइंस,बैचलर ऑफ जर्नलिज्म और डिप्लोमा इन एक्यूप्रेशर किया है। आपकी संप्रति आल इण्डिया रेडियो, इंदौर में आकस्मिक उद्घोषक,कई मासिक और त्रैमासिक पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादन रही है। यदि उपलब्धियां देखें तो,राष्ट्रीय समाचार पत्रों एवं पत्रिकाओं में 600 से अधिक आलेखों, कहानियों,लघुकथाओं,कविताओं, व्यंग्य रचनाओं एवं सम-सामयिक विषयों पर रचनाओं का प्रकाशन है। राज्य संसाधन केन्द्र(इंदौर) से नवसाक्षरों के लिए बतौर लेखक 15 से ज्यादा पुस्तकों का प्रकाशन, राज्य संसाधन केन्द्र में बतौर संपादक/ सह-संपादक 35 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है। पुनर्लेखन एवं सम्पादन में आपको काफी अनुभव है। इंदौर में बतौर फीचर एडिटर महिला,स्वास्थ्य,सामाजिक विषयों, बाल पत्रिकाओं,सम-सामयिक विषयों,फिल्म साहित्य पर लेखन एवं सम्पादन से जुड़ी हैं। कई लेखन कार्यशालाओं में शिरकत और माध्यमिक विद्यालय में बतौर प्राचार्य 12 वर्षों का अनुभव है। आपको गहमर वेलफेयर सोसायटी (गाजीपुर) द्वारा वूमन ऑफ द इयर सम्मान एवं सोना देवी गौरव सम्मान आदि भी मिला है।
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