वृद्घों-विधवाओं की एक मात्र सहारा पेंशन है,
पर इसमें होती दलाली जो बहुत बड़ी टेन्शन है।
मैं तो कहता हूँ इन दलालों की बवालबाजी बन्द करो,
पेंशन बनवाने में होने वाली तिकड़मबाजी बन्द करो।
ये दलाली होती है बैंकों और दलालों की साठगांठ से,
उसी पेंशन से ये दलाल जीते हैं जिंदगी ठाठ से।
जितनी पेंशन आती है उसमें दलालों का आधा हिस्सा है,
बात नहीं ये आज की,ये बहुत पुराना किस्सा है।
जो देते नहीं हैं इन्हें दलाली उनकी पेंशन कटवाते हैं,
ये विधवाओं-वृद्घों की पेंशन के पैसों से मौज उड़ाते हैं।
सिर्फ़ नाम मात्र के पैसे ही इनके हाथों में आते हैं,
बाकी पैसे तो दलालों के बटुओं में चले जाते हैं।
ये बात है उन लाचारों की,जो सब सह जाते हैं,
सब देखते हैं सुनते हैं,पर केवल चुप रह जाते हैं।
#अमित कैथवार
परिचय : शौकिया लेखक अमित कैथवार उत्तर प्रदेश के जिला लखीमपुर (खीरी )में मितौली ग्राम में रहते हैं।