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वो भी ग़म को ही हवा देते हैं।।
हम ख़ुशी को ही भुला देते हैं।।
मेरे वो राज़ से भी है वाकिफ़।।
लोग मिलके ही दग़ा देते हैं।।
आरज़ू है दिलों को जोड़ने की।।
हम भी ग़म को ही भुला देते हैं।।
ज़ात धर्मो की सियासत में ही।।
वो हमें खूब लड़ा देते हैं।।
ठोकरों में है नियामत उनकी।।
हम जिसे दिल से मिटा देते हैं।।
मोहब्बत में भी असर देखिये तो।।
हारे को जीत दिला देते हैं।।
परिचय :
नाम-. मो.आकिब जावेद
साहित्यिक उपनाम-आकिब
वर्तमान पता-बाँदा उत्तर प्रदेश
राज्य-उत्तर प्रदेश
शहर-बाँदा
शिक्षा-BCA,MA,BTC
कार्यक्षेत्र-शिक्षक,सामाजिक कार्यकर्ता,ब्लॉगर,कवि,लेखक
विधा -कविता,श्रंगार रस,मुक्तक,ग़ज़ल,हाइकु, लघु कहानी
लेखन का उद्देश्य-समाज में अपनी बात को रचनाओं के माध्यम से रखना
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