धन और ईमान,
धन सुखी ईमान परेशान..
धन बोला अकड़ से,मेरी अनोखी शान,
ईमान बोला शिष्टता से
देते मुझे सब मान..
दो मित्र धन और ईमान…..।
धन और ईमान,
पढ़ें एक ही स्कूल में..
ईमान खोया किताबों में,
धन डूबा स्वीमिंग पूल में..
दो मित्र धन और ईमान….।
धन और ईमान दोनों को,
एक ही लड़की से प्यार हो गया..
कुछ ही दिनों में धन तो बना दूल्हा,
ईमान प्रेम-पत्र लिखता रह गया..
दो मित्र धन और ईमान………।
धन और ईमान चले रोजगार ढूंढने,
धन दे के धन अफसर बन गया..
काट के आफिसों के चक्कर,
ईमान फिर भी बेरोजगार रह गया
दो मित्र धन और ईमान …..।
धन और ईमान चले शहर घूमने,
जा पहुंचे मंदिर के पास में..
धन दे के चंदा धन्य हो गया,
ईमान खड़ा रहा दर्शन की आस में..
धन और ईमान दो मित्र………।
धन ने मांगा कुछ यूं भगवान से,
हे भगवान मुझे और धनवान बना दे..
ईमान भी अब खा के धक्के चिढ़ गया,
बोला,हे भगवान!मुझे बेईमान बना दे
दो मित्र धन और ईमान….।
#राजबाला ‘धैर्य’
परिचय : राजबाला ‘धैर्य’ पिता रामसिंह आजाद का निवास उत्तर प्रदेश के बरेली में है। 1976 में जन्म के बाद आपने एमए,बीएड सहित बीटीसी और नेट की शिक्षा हासिल की है। आपकी लेखन विधाओं में गीत,गजल,कहानी,मुक्तक आदि हैं। आप विशेष रुप से बाल साहित्य रचती हैं। प्रकाशित कृतियां -‘हे केदार ! सब बेजार, प्रकृति की गाथा’ आपकी हैं तो प्रधान सम्पादक के रुप में बाल पत्रिका से जुड़ी हुई हैं।आप शिक्षक के तौर पर बरेली की गंगानगर कालोनी (उ.प्र.) में कार्यरत हैं।