अक्सर सुनाती है ‘आवाज’
आहट पर जग जाता हूँ मैं
जबसे तू दूर हुई
सब कुछ भूल जाता हूँ मैं।
याद आता है तेरा बचपन
तेरा चहकना ख्यालो में
खो जाता हूँ मैं।
तेरा छोटी छोटी बातों
पर जिद करने की आदत
जैसे जीवन की थी ‘डोर’
अब फिसल रही ऐसे
चलता नही कोई ‘जोर’।
तू जब मुस्कुरा देती थी
तेरे खुशी से मै
‘हर्षित’ हो जाता था
अब तो वर्षो बीत रहे
तेरी नही सुध और
आंगन सूना घर सूना
तेरे बिना कीचन सूना
जब बंध गई है ‘डोर’
फिर भी दुआ है
खुशियाँ ही खुशियाँ हो
तेरे चहुँ ओर ।
“आशुतोष”
नाम। – आशुतोष कुमार
साहित्यक उपनाम – आशुतोष
जन्मतिथि – 30/101973
वर्तमान पता – 113/77बी
शास्त्रीनगर
पटना 23 बिहार
कार्यक्षेत्र – जाॅब
शिक्षा – ऑनर्स अर्थशास्त्र
मोबाइलव्हाट्स एप – 9852842667
प्रकाशन – नगण्य
सम्मान। – नगण्य
अन्य उलब्धि – कभ्प्यूटर आपरेटर
टीवी टेक्नीशियन
लेखन का उद्द्श्य – सामाजिक जागृति