मेरा वजूद

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sadhana chirolya
       “आज गुप्ताजी के यहाँ उनके बेटे के जन्मदिन की पार्टी है। रागिनी ने जाने के लिये हाँ तो कह दिया किन्तु उसके मन में एक अनजाना सा भय समाया हुआ था।गुप्ताजी उसके पति राहुल के दोस्त भी और साहब भी।गुप्ता जी के रहन-सहन का स्तर उसके सामने बहुत ऊँचा था।सब अंग्रेजी में बात करते। ऐसा नहीं था कि रागिनी पढ़ी-लिखी नहीं थी।उसने भी हिंदी में एम.ए. किया था।कविताएँ भी लिखती,किन्तु राहुल हमेशा उसको उलाहना देते “कहते क्या हिंदी में लिखती हो”।दूसरों के सामने भी राहुल उसकी हँसी उड़ाने से बाज नहीं आते,और धीरे-धीरे रागिनी ने लिखना ही छोड़ दिया।हाँ उसके ह्रदय में एक टीस अवश्य उठती थी,किन्तु राहुल के स्वभाव के सामने वह विवश थी।
शाम को पार्टी में पहुँची।
आज पार्टी में एक खेल रखा गया।पर्ची बांटी गईं,
पर्ची में जो लिखा था वही करना था सबको।
उसकी पर्ची में लिखा था “शुभकामना सन्देश”।
लिखना तो वह कबका छोड़ चुकी थी,कुछ याद ही नहीं आ रहा था।अचानक उसको अपने छोटे भाई के जन्मदिन पर लिखी कविता याद आई। बस उसने उसी की चन्द लाइनें सुनाना शुरू किया।पूरी महफ़िल में सन्नाटा छा गया।सब मंत्रमुग्ध होकर उसकी कविता सुन रहे थे,और फिर सबके आग्रह पर उसको पूरी कविता सुनानी पड़ी।सब लोग जोर-जोर से तालियां बजा रहे थे,महफ़िल में मानो चार चाँद लग गए थे।राहुल को भी मज़बूरी में तालियाँ बजानी पड़ रहीं थीं।रागिनी ने तिरछी नजरों से राहुल की ओर देखा , मानो कह रही हो यह देखो-“मेरा वजूद”,,
साधना छिरोल्या
दमोह (म.प्र.)
परिचय-
नाम-श्रीमती साधना छिरोल्या।
पति का नाम-श्री कैलाश छिरोल्या।
स्थान-जबलपुर(म.प्र.)
शिक्षा-बी.एस. सी.  बी.एड.(गणित)
प्रकाशन-गहोई बन्धु पत्रिका(ग्वालियर म.प्र.)
गहोई संस्कार पत्रिका
जबलपुर(म.प्र.)
गहोई सूर्य अख़बार
जबलपुर(म.प्र.)
लोकजंग भोपाल
“वाह!जिंदगी”  हिंदी काव्य संग्रह
“कश्तियों का सफ़र ” साझा काव्य संग्रह
“स्त्री तुम सृजक”
साझा काव्य संग्रह
“वुमेन आवाज “
साझा संकलन।
सम्मान-भाषण,नाटक वादविवाद,तात्कालिक निबंध,कविता एवं सुलेख प्रतियोगिताओ में पुरस्कार।
गहोई समाज एवं हितकारिणी स्कूल जबलपुर द्वारा हिंदी काव्य लेखन के लिये पुरस्कार।
अंतरा शब्द-शक्ति द्वारा हिंदी कलमकार का सम्मान।
राजस्थान की कवि चौपाल दौसा शाखा द्वारा
“कवि चौपाल शारदा सम्मान”।
अंतरा शब्द-शक्ति द्वारा
कहानी प्रतियोगिता में पुरस्कार।
अखिल भारतीय साहित्य परिषद् विराटनगर जयपुर द्वारा साहित्य पुरस्कार।

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आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।