शिक्षा के मन्दिर मे , बलात्कार करते हो तुम,
गुरु के पवित्र नाम पर , कलंककित होते हो तुम,
हे भारत के ज्ञान दाता , ज्ञान के मन्दिर को ,
बेटियों की इज्जतो से खेलते हो तुम ,
गुरु के नाम को बदनाम के रंग से रगते हो तुम,
लड़कियो के शरीर को खिलौना समझ खेलते हो तुम,
तुम इंसानो को कोई ना समझे ,
हैवान हो इस मानवरूपी धरती पे तुम ,
नाम गुरु का ज्ञान दाता कहते है तुम्हें ,
तुम इज्जत से खिलवाड़ने वाले नरभक्षी हो तुम ,
कौन तुम्हारी आँखों पे विश्वाश करेगा ,
शिक्षक के पवित्र रिश्ते को बदनाम करते हो तुम ,
भारत के सविधान पे घिन आती है मुझें ,
ऐसे कमजोर कानून बना दिये हो तुम ,
ना सुरक्षित है यहाँ लड़कियाँ, बहन हमारी ,
कैसे तुम नरभक्षीयो मिटोगे तुम ,
भारत माँ के नन्ही सी बेटियो को कबतक दबोचोगे तुम ,
तुम भी अपनी माँ बेटियों की भी वैसी ही जिन्दगी देखोगे तुम !
काश तुम मर्द नही नामर्द होते ,
खुद उसी नर्क जिन्दगी से मरते तुम !
रूपेश कुमार
छात्र एव युवा साहित्यकार
शिक्षा – स्नाकोतर भौतिकी , इसाई धर्म(डीपलोमा) , ए.डी.सी.ए (कम्युटर)
बी.एड( महात्मा ज्योतिबा फुले रोहिलखंड यूनिवर्सिटी बरेली यूपी)
वर्तमान-प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी !
प्रकाशित पुस्तक ~ मेरी कलम रो रही है
विभिन्न राष्ट्रिय पत्र पत्रिकाओ मे कविता,कहानी,गजल प्रकाशित !
कुछ सहित्यिक संस्थान से सम्मान प्राप्त !
चैनपुर,सीवान बिहार – 841203