इश्क, बेबसी, प्यार ,बेरुखी,,,,
फिर सब की तैयारी है ,,,,
एक फरवरी मेरी भी ,
किसी के पास उधारी है ,,,
कुछ बीते पल ,कुछ अफ़साने,
कुछ खत ,चिट्ठियां बरसो पुराने ,,
आज के प्यार पर भारी हैं
एक फरवरी मेरी भी
किसी के पास उधारी है,,,
वो दौर आशिकी का हमने
जो जिया कभी था जी भर के,
उनको खुशियां दे डाली
उल्फत के आंसू पीकर के,,
उन्हीं चांदनी की रातों की
कसक आज भी जारी है
एक फरवरी मेरी भी
किसी के पास उधारी है,
उनसे चोरी-चोरी मिलना
वो मुलाकाते निराली थी
उनके हुस्न पे पहरा था
तो अपनी जिद्द भी दीवानी थी
चूम के योवन की अदाकारी,
मैनें अक्षर अक्षर उतारी है
एक फरवरी मेरी भी
किसी के पास उधारी है
मिलन ,जुदाई ,अश्क़, रुसवाई,
ये सब हिस्से प्रेम कहानी के,
उम्र ढले तब कहे राणा
ये सब किस्से प्रेम कहानी के,
उन्हीं लम्हों की तान पुरानी,
मेरी ग़ज़लों ने पुकारी है ,
एक फरवरी मेरी भी
किसी के पास उधारी है।
#सचिन राणा ” हीरो ”
हरिद्वार (उत्तराखंड)