ज़िंदगी की शाम में कुछ,
ऐसा अब लगने लगा
बेख़ौफ़ होकर जिया जाये
डर भीअब डरने लगा
ज़िंदगी की शाम में
मन ठहरने है लगा .
अब विचारों का उफनना
शीत जल सा हो गया
ज़िंदगी की शाम में ….
हो गई ख़तम मनमानियॉं
चलती थीं अपनी मर्ज़िया
अब सम्हलती जा रहीं
शामे – ज़ुबानी कहानियाँ
ज़िंदगी की शाम में….
उस किताब सी ज़िंदगी है
जंहा ,आख़िरी पन्ने बचे
पलटते ,पलटाते शायद
लो उपसंहार आ गया
ज़िंदगी की शाम में……
देता इजाज़त अब न दिल
हर एक को घुसने भला
मेरा दिल अब मेरा है
न शिकवा न कोई गिला
ज़िंदगी की शाम में…..
सपनों से टूटा वास्ता
ढूँढती है रास्ता
चल पड़ी है खोजते
सच्चाई का वो दास्ताँ
ज़िंदगी की शाम में…
इश्क़ न नफ़रत किसी से
प्यार न इज़हार है
न किसी का इंतजार
इश्क़ न मलाल है
ज़िंदगी की शाम में….
बीते दिनों की याद का
न कोई अहसास है
न आस है न साज है
न कोई फ़रमान है
बस आप है भगवान हैं
उसके ही अल्फ़ाज़ हैं
जिंदगी की शाम है
शाम की ये शान है
ज़िंदगी की शाम में कुछ
ऐसा अब होने लगा
मन सम्हलने है लगा
मन ठहरने है लगा
ज़िंदगी की शाम में….,
#कुसुम सोगानी
परिचय : श्रीमती कुसुम सोगानी जैन का जन्म १९४७ छिंदवाड़ा (म.प्र.) में हुआ है|आपने शालेय शिक्षा प्राप्त करने के बाद बीए(इंग्लिश व अर्थशास्त्र),एमए(हिंदी साहित्य),एमए(समाजशास्त्र) व विशारद(हिन्दी साहित्य रत्न) किया हैं| साथ ही इलाहाबाद (हिन्दी प्रचारिणी सभा) से संस्कृत मे कोविद्, सुगम गायन-वादन और झुंझुनू (राजस्थान)वि.वि.से पीएचडी जारी है|आप हिन्दी साहित्य,अंग्रेज़ी भाषा, संस्कृत,मारवाड़ी और राजस्थानी सहित गोंडवाना भाषा ही नहीं, मालवीभी लिखना-पढ़ना तथा अच्छा बोलना जानती हैं| आप आकाशवाणी इंदौर में कई कार्यक्रमों का संचालन कर चुकी हैं| यहाँ सालों तक कई कहानी प्रसारित हुई है| आपकी अभिरुचि रचनात्मक लेखन और कहानी कविता भजन तथा जैन धर्म के विषय पर लेखन में है| कई पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित होने के साथ ही आप कई सामाजिक-धार्मिक संस्थानों मे सहयोगी के रूप में सक्रिय है |आपका निवास इंदौर में है|