घाटी नर्क बनाकर 

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mukesh rishi varma

                  घाटी नर्क बनाकर
दिल्ली बैठी पहन चूडियाँ
किन्नर रोना रोती है |

      सिंहों के जिस्म कुत्ते नोच-नोच खाते
शौर्य-वीरता के सम्मुख दीवार बना कानून
राजनीति बंदूकों के मुख ताले लगवाती है |

                 देखो कैसे स्वार्थवश
दिल्ली विषधरों को दूध पिलाती है
मेरे देश के वीर जवानों को डसवाती है |

            संसद घिघियाना बंद करे
दुश्मन की छाती पर चढ़ हुंकार भरे
भारत माँ करुण स्वर सुनाती है |

अब नरभक्षी जल्लादों को फूल नहीं गोली दो
जो मांग रहे आजादी उनको आजादी दो
सिंहासन चुप्पी तोडो –
ये चुप्पी ही वीरों को चिथड़े-चिथड़े करवाती है |

#मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

परिचय : मुकेश कुमार ऋषि वर्मा का जन्म-५ अगस्त १९९३ को हुआ हैl आपकी शिक्षा-एम.ए. हैl आपका निवास उत्तर प्रदेश के गाँव रिहावली (डाक तारौली गुर्जर-फतेहाबाद)में हैl प्रकाशन में `आजादी को खोना ना` और `संघर्ष पथ`(काव्य संग्रह) हैंl लेखन,अभिनय, पत्रकारिता तथा चित्रकारी में आपकी बहुत रूचि हैl आप सदस्य और पदाधिकारी के रूप में मीडिया सहित कई महासंघ और दल तथा साहित्य की स्थानीय अकादमी से भी जुड़े हुए हैं तो मुंबई में फिल्मस एण्ड टेलीविजन संस्थान में साझेदार भी हैंl ऐसे ही ऋषि वैदिक साहित्य पुस्तकालय का संचालन भी करते हैंl आपकी आजीविका का साधन कृषि और अन्य हैl

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