मृत्यु भोज – एक अभिशाप

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jaswant
मृत्यु भोज खाना , बंद करो सब ,
एक बात मेरी , आप लोग  मानलो ।
अरे ! मृत्युभोज एक अभिशाप है दोस्तो ,
आज से ही बंद करो , दिल से ठानलो ।।
मृत्यु भोज एक ………….
अरे ! मौत होना  , खुशी की बात नहीं ,
जो तुम लड्डू और पेड़े बड़े चाव से खा रहे ।
घर में अंधेरा हुआ , नहीं कोई उजियारा ,
फिर क्यों दोस्तों , मृत्यु भोज खा रहे ।।
मृत्यु भोज एक……
अरे ! जिंदा था तब तो चाय भी नसीब नहीं ,
अब देखो  दूध की नदिया बहा रहे ।
भूख से ही गयी थी उस आदमी की जान  ,
आज देखो मिठाईयो की कतारे लगा रहे ।।
मृत्यु भोज एक …..
एक बार दिल से सोचो मेरे दोस्तों ,
किस घर का हम खाना आज खा रहे ।
अरे जिस घर में टूटा , दुःखो का पहाड़ फिर
दुःख में  चिनगारी हम क्यों लगा रहे ।।
मृत्यु भोज एक ….
कुछ तो शर्म कर लेते मेरे दोस्तो ,
दुःख में पाँच पकवान कैसे भा रहे ।
किसी की टूटी चूड़ी , किसी की आस यहाँ
फिर सज धज के कैसे जीमने जा रहे ।।
मृत्यु भोज एक…..
बेटे के सर से उठ गया साया फिर ,
उस पर कर्ज का बोझ क्यों डाल रहे ।
अरे ! पढ़ाई की उम्र में , पसीना बहायेगा वो ,
नन्ही सी जान पर क्यों सितम यूँ  ढा रहे ।।
मृत्यु भोज एक ….
अगर करनी हो , मेहमानों की मेजबानी ,
सिर्फ सादा खाना उनको मान से परोस दो ।
शोक है घर में , शौक मत बनाओ तुम ,
मृत्यु भोज में मीठा भोजन तुम छोड़ दो ।।
मृत्यु भोज एक ……
अरे ! हमसे अच्छे तो वो जानवर है जो ,
अपनो के वियोग में खाना पीना तजते ।
इंसान हो थोड़ी बहुत इंसानियत निभाओ तुम ,
मृत्यु भोज के क्यों ख़्वाली पुलाव सजते ।।
मृत्यु भोज एक …….
हाथ जोड़ अर्ज करूँ मैं , समाज वालों ,
एक बात मेरी  , आप लोग सब मानलो ।
मृत्यु भोज एक अभिशाप है समाज का ,
आज से ही बंद करो , दिल से ठानलो ।।
मृत्यु भोज एक …….

नाम – जसवंत लाल बोलीवाल ( खटीक )

पिताजी का नाम – श्री लालूराम जी खटीक ( व.अ.)

माता जी का नाम – श्रीमती मांगी देवी

धर्मपत्नी – पूजा कुमारी खटीक ( अध्यापिका )

शिक्षा – B.tech in Computer Science

व्यवसाय – मातेश्वरी किराणा स्टोर , रतना का गुड़ा

राजसमन्द ( राज .)

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।