मुश्किलें

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bharat malhotra
मुश्किलें लाख हों उम्मीद कहां मरती है
ये वो शमा है जो तूफानों में भी जलती है
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ये बात सच है चाहे मानो या न मानो तुम
जहां दवा न करे, दुआ असर करती है
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चीर देती है फिर वो आसमां का सीना भी
किसी गरीब के दिल से जो आह निकलती है
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हमेशा दो कदम आगे ही रहती है मुझसे
मेरी किस्मत न जाने कितना तेज चलती है
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बचाओ कितना भी मगर ये होता है अक्सर
कि ज़ख्म हो जहां वहीं पे चोट लगती है
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#भरत मल्होत्रा

परिचय :– 
नाम- भरत मल्होत्रा 
मुंबई(महाराष्ट्र)
शैक्षणिक योग्यता – स्नातक 
वर्तमान व्यवसाय – व्यवसायी 
साहित्यिक उपलब्धियां – देश व विदेश(कनाडा) के प्रतिष्ठित समाचार पत्रों , व पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित
सम्मान – ग्वालियर साहित्य कला परिषद् द्वारा “दीपशिखा सम्मान”, “शब्द कलश सम्मान”, “काव्य साहित्य सरताज”, “संपादक शिरोमणि”  
झांसी से प्रकाशित “जय विजय” पत्रिका द्वारा ” उत्कृष्ट साहितय सेवा रचनाकार” सम्मान एव 
दिल्ली के भाषा सहोदरी द्वारा सम्मानित, दिल्ली के कवि हम-तुम टीम द्वारा ” शब्द अनुराग सम्मान” व ” शब्द गंगा सम्मान” द्वारा सम्मानित  
प्रकाशित पुस्तकें- सहोदरी सोपान 
                         दीपशिखा 
                         शब्दकलश 
                         शब्द अनुराग 
                         शब्द गंगा 

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