नफरतों की आंधियां है, रिश्ते बनाकर चलिए,
दुश्मनों की कमी नहीं,दोस्त बनाकर चलिए।
सब कुछ बिक रहा है झूठ के इस बाजार में,
अपने ईमान को जरा-सा संभालकर चलिए।
कांटों से भरा सफर है दामन बचाकर चलिए,
सियासतों का शहर है बोली लगाकर चलिए।
अब ये दौर नहीं बचा सवाल करने वालों का,
अपनी जुबाँ को अपने मुँह में दबाकर चलिए।
#पवन गुर्जर
परिचय : पवन गुर्जर इंदौर निवासी हैं और वर्तमान में दैनिक समाचार-पत्र में मार्केटिंग विभाग में कार्यरत हैं। लेखन शौक से करते हैं। शायरी-कविताएं लिखना आपको पसंद है। समय- समय पर त्वरित मुद्दों पर भी लिखते रहते हैं।
नफरतों की आंधियां है, रिश्ते बनाकर चलिए,
दुश्मनों की कमी नहीं,दोस्त बनाकर चलिए।
अब ये दौर नहीं बचा सवाल करने वालों का,
अपनी जुबाँ को अपने मुँह में दबाकर चलिए।
बढिया