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बसंत के रंग
हुए ऐसे मेरे
अंग संग, बदली
मौसम ने चाल
पेड़ों पर आए
रंग बिरंगे फूल
हुवा वातावरण
सतरंगा खुशहाल।
लहर उठी सरसों
की सुनहरी बालियां
पेड़ पौधों में आ
गई नई कलियां
खिलने को रही मचल
बसंत ने लाया, रंग
रूप उनमें अचल।
हरी हरी डालियां
ऊपर से टेसू के रंग
पहने दुल्हन रंगों
से भरी साड़ी चली
मिलने प्रीतम के संग।
भंवरे भी गुनगुनाने लगे
कोयल के स्वर
सब को रिझाने लगे
नृत्यांगनाएं नृत्य करने लगी
दिलों में छाई मस्ती
मधुर तान बजने लगी
शिव विवाह हुआ संपन्न
धन्य है बसंत धन्य है बसंत।
#कल्पना गुप्ताकल्पना रत्न
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