इतिहास तक ले जाने में सफल
निर्देशक -कृष
अदाकार-कंगना रणौत, डेनी, जीशान अय्यूबी, अंकिता लोखंडे, अतुल कुलकर्णी
दोस्तो भारतीय इतिहास में वीर रस के कवित्व में हम सब ने पड़ा और सुना है
खूब लड़ी मर्दानी
झांसी वाली रानी ,,,,
झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के जिक्र के बिना भारतीय स्वतंत्रता की बयान अधूरी प्रतीत होती है,,
18वी सदी में जब पूरा भारत अंग्रेजो की मातहत कुबूल कर चुका तब लक्ष्मीबाई ने न केवल ईस्ट इंडिया कम्पनी की मुख़ालेफ़त की, साथ कि अंग्रेजो से अपनी भूमि, राष्ट्रवाद हेतू राजा होने के कर्तव्य निर्वहन करते हुवे वीर गति को प्राप्त हुई
लक्ष्मी बाई की मुख़ालेफ़त इस लिए भी बड़ी एहमियत रखती है कि
पहली वजह
जब भारत का हिस्सा हिस्सा इस्टइंडिया कम्पनी यानी अंग्रेजो की दासता कुबूल चुका था
दूसरी वजह
1857 देश की पहली क्रांति का एक हिस्सा थी यह मुख़ालेफ़त भी
यह तो हम देश के वीरगाथा बयान करता इतिहास खंगाल लिया
फ़िल्म में न केवल लक्ष्मी बाई की निजी जिंदगी को बताया गया वरन राजधर्म और राष्ट्रवाद भी दिखाया गया है
झांसीकी रानी लक्ष्मी बाई का ब्याह, युद्ध कौशल, युद्ध और राष्ट्र के प्रति समर्पण कैसे शने शने लक्ष्मी बाई में पनपा
महिला शसक्तीकरण युद्ध मे महिलाओं की अलग फौजी टूकड़ी
फ़िल्म के पहले भाग में पूरा वक्त यही सब कुछ स्थापित करने में गुज़ार दिया गया, दूसरे हाफ में युद्ध दिखाया गया है
अदाकारी की बात करे तो कंगना राणौत लक्ष्मी बाई के किरदार को जीवंत कर गई है, हमारी फ़िल्म जगत में कुछ हीरोइन ऐसी है जो कि बिना मुख्य पुरुष पात्र के भी फिल्मे अपने कंधे पर खिंच ले जाती है जैसे काजोल, विद्या बालन, रानी मुखर्जी, कंगना भी इन्ही में से एक है,, कंगना ने चरित्र को जीवंत के साथ अविस्मरणीय बना दिया है
अंकिता लोखंडे झलकारी बाई के किरदार को सजीव कर गई है
अतुल कुलकर्णी रंगमंच के साधक रहे है उन्हें जो किरदार दिया जाता है उसे जीवंत बना देने की कला में माहिर है यहां उन्होंने तात्या टोपे के साथ किया
अंग्रेज हुकूमत के जनरल ह्यूज रोज के रूप में रिचर्ड कीप के रूप में सधे लगे है
सुरेश ओबेरॉय, सोनू सूद, निहार पंड्या, अमित बहल भी अपना काम ईमानदारी से कर गए है,फ़िल्म में गद्दार सदाशिव के किरदार में जीशान अय्यूबी भी कमाल कर गए है,,गुलाम गौस खान किरदार में डैनी ड़ेनजोम्पा भी लाजवाब लगे है
शंकर एहसान लॉय का संगीत अच्छा है गाने फ़िल्म को आगे बढ़ाते है
फ़िल्म में युद्ध दृश्य उम्दा बन पड़े है कम्प्यूटर जनित तकनीक यानी VFX का ईस्तमाल सर्वश्रेष्ठ तो नही लेकिन फ़िल्म की जरूरत के हिसाब से उम्दा बनए गए है
कला निर्देशन में सेट्स शानदार बनाए गए है
कूल मिलाकर फ़िल्म की अवधि लम्बी होते हुवे भी खलती नही है
फ़िल्म देशभक्ति और राष्ट्रवाद जगाने में सफल नज़र आती है
हमारी तरफ से 3 स्टार्स
#इदरीस खत्री
परिचय : इदरीस खत्री इंदौर के अभिनय जगत में 1993 से सतत रंगकर्म में सक्रिय हैं इसलिए किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं| इनका परिचय यही है कि,इन्होंने लगभग 130 नाटक और 1000 से ज्यादा शो में काम किया है। 11 बार राष्ट्रीय प्रतिनिधित्व नाट्य निर्देशक के रूप में लगभग 35 कार्यशालाएं,10 लघु फिल्म और 3 हिन्दी फीचर फिल्म भी इनके खाते में है। आपने एलएलएम सहित एमबीए भी किया है। इंदौर में ही रहकर अभिनय प्रशिक्षण देते हैं। 10 साल से नेपथ्य नाट्य समूह में मुम्बई,गोवा और इंदौर में अभिनय अकादमी में लगातार अभिनय प्रशिक्षण दे रहे श्री खत्री धारावाहिकों और फिल्म लेखन में सतत कार्यरत हैं।