संविधान दिवस

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नंदु अत्यंत उदास था। एक प्रश्न बार-बार उसके मस्तिष्क में कौंद जाता था,कि उसके माथे पर लगे झूठे 'देशद्रोह एवं पागल' के कलंक का 'ठप्पा' कब उतरेगा? वह भलिभांति यह भी जानता था कि पत्नी व बालबच्चों द्वार घर त्यागना उसका 'पागलपन' सिद्ध करता है।
   वह इस बात पर भी अचंभित था कि उसके द्वारा उक्त कलंकित धब्बे को मिटाने के संवैधानिक प्रयास को भी उसका 'पागलपन' ही मानते हैं।
  जबकि नंदु स्वंय पढ़ चुका था कि उक्त धब्बा संविधान की धारा 21, मेंटल हेल्थ एक्ट 1987 एवं दिव्यांगजन अधिनियम 2015 के अंतर्गत दण्डनीय है और उस पर देशद्रोह का झूठा आरोप लगाने वाले और पागल कहने वाले दण्ड के पात्र हैं।
किंतु संविधान का उल्लंघन कर नंदु व उसके परिवार का जीवन नर्क बनाने वाले स्वर्ग भोग रहे हैं और देश के 70वें संविधान दिवस के सुअवसर पर आज भी नंदु खून के आँसु रो रहा था। 

#इंदु भूषण बाली

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।