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अस्त
होते सूर्य की
लालिमा देती संदेश
साँझ के आने का…
साँझ होते ही
लौटने लगते परिंदे
अपने नीड़ों में
दिन भर
इधर-उधर
डोल कर, चर कर
लौटती गायें
अपने घर,
निबटा कर
अपने सभी काम
बच्चे-बड़े
महिलाएँ-पुरुष
सभी भागते हैं
अपने-अपने
घरों की ओर,
पहुँच कर
पीते हैं चाय
आराम से
सबके साथ
अपनी कहते और
सबकी सुनते हुए…
इसी से
बेहद पसंद है
साँझ और साँझ की
लालिमा!
#डा० भारती वर्मा बौड़ाई
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