पुस्तक :पापा ने सही कहा था (बाल कहानी संग्रह) लेखिका : इंदिरा त्रिवेदी
प्रकाशक : भव्या पब्लिकेशन (मध्य प्रदेश)
मूल्य : रुपए 200 मात्र
अक्सर कहा जाता है कि नैतिक मूल्यों ,विज्ञान के क्षेत्र में हो रही तरक्की, सामाजिक व्यवहार, शिष्टाचार और मिलनसारिता जैसे विषयों की जानकारी बच्चों को देना जरूरी है ।लेकिन मुश्किल यह है कि बच्चों को यह सब समझाया कैसे जाए? सपाट भाषा में कही गई बात उन्हें मम्मी या पापा का “लेक्चर” या उपदेश लगती है ।ऐसे में एक बालपत्रिका का संपादन कर रही इंदिरा त्रिवेदी ने बीड़ा उठाया है बच्चों तक कुछ जरूरी बातें पहुंचने का ।इसके लिए उन्होंने सुरुचिपूर्ण, सरल और रोचक शैली में लिखी अपनी बाल कहानियों को माध्यम बनाया है ।इन्हीं बाल कहानी का संग्रह है, “पापा ने सही कहा था”।
कुहू का संकल्प,कहानी में उन्होंने बच्चों में द्वेष की भावना और एक दूसरे को सताने के लिए की गई हरकतों के चित्रण के साथ-साथ इनका सहज हल निकालने की युक्ति बताई है। साथ ही बच्चों के बीच की गलतफहमी को दूर करने का एक सरल तरीका सुझाया है।
संग्रह की आवरण कहानी ,पापा ने सही कहा था, में उन्होंने बच्चों के डूबते हुए आत्मविश्वास को जागृत करने में करने और बहाने बनाने से बचने में अभिभावकों की भूमिका का सहजता से वर्णन कर दिया है ।बात से बनेगी बात कहानी में संयुक्त परिवार में रहने के कायदे और फायदे लेखिका ने बड़ी आसानी से बता दिए हैं आज की यह बड़ी समस्या है कि बच्चे रिश्तों में घुटन महसूस करते हैं और न्यूक्लियर फैमिली को ही प्राथमिकता देते हैं ।इससे अकेलापन, स्ट्रेस ,एंजायटी जैसी मानसिक बीमारियां तो बढ़ ही रही हैं मुसीबत में मदद मिलना भी मुश्किल होता जा रहा है ।इसी कहानी में लेखिका ने बड़ी चतुराई से बच्चों को कई जरूरी हिंदी शब्द जैसे प्रतिस्पर्धा ,संयुक्त परिवार ,व्यस्तता आदि के अर्थ भी समझा दिए हैं ।सामाजिक – पारिवारिक रिश्तों का महत्व बताती यह कहानी अत्यंत प्रभावशाली है ।
समझदार चंदू कहानी बाल श्रम और बाल श्रमिकों की समस्याओं पर आधारित कहानी है जो बच्चों में गरीब बच्चों के प्रति संवेदना सहानुभूति और समानुभूति जैसी भावनाओं का संचार करने में सक्षम है। मेहनत रंग लाई कहानी में एक गरीब आया की अभावग्रस्त बच्ची निशिता की प्रतिभा, मेहनत और लगन के सुफल पर आधारित है। यह बच्चों को न सिर्फ गरीब बच्चों के प्रति अच्छी भावना बल्कि पढ़ाई में मेहनत के लिए भी प्रेरित करती है ।
दीपू की सूझ कहानी एक छोटे बच्चे के प्रेजेंस आफ माइंड , सतर्कता और बुद्धिमानी की कहानी है ।इससे बच्चों को कठिन या आपात स्थिति में घबराने की बजाय स्थिति का मुकाबला करने की प्रेरणा मिलती है।
मेरा प्रिय मित्र में पुस्तक पढ़ने के कई फायदे बताए गए हैं और पेड़ भी हमारे जैसे कहानी में पेड़ पौधों में संवेदनाओं की उपस्थिति की बात सहजता से बताई गई है ।
उपहार ,चिया- रिनी का जन्मदिन ,बड़ा आदमी ,हम दोनों आदि भी सार्थक संदेश देने वाली रोचक कहानियां हैं ।
कहानियों की भाषा शैली बिल्कुल सरल और सहज है ।हर कहानी के साथ रेखाचित्र दिए गए हैं। फोंट बड़े और स्पष्ट होने के कारण बच्चों के लिए आसानी से पठनीय हैं ।लेखिका ने बिल्कुल सही लिखा है कि एक बाल कहानी संग्रह में आवश्यक सभी तत्वों का समावेश इसमें किया गया है।
यह कहानी संग्रह बच्चों ही नहीं उनके माता-पिता को भी काफी कुछ सिखाने वाला है।बाल मनोविज्ञान पर पकड़ रखने वाली एक अनुभवी संपादक ने बच्चों के साथ-साथ माता-पिता के लिए भी कई सार्थक संदेश दिए हैं।
#शिखर चंद जैन
मोटिवेशनल लेखक, बाल साहित्यकार, स्तंभकार