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गलियों में लुटती है इज्जत,
रोज-रोज ही नारी की |
कहीं जला कर फेंकी जाती,
दुर्गति है बेचारी की |
सत्ता के शीशे पर चेहरा,
देख-देख तुम मुस्काते |
ताज सजाया सिर पर तेरे,
पीट-पीट माथा पछताते |
जाति-धर्म का विष फैलाना ,
तुम लोगों का व्यापार बना |
सत्ता की चकाचौंध में,
अंधेरा फैल रहा घना |
गली-गली डिग्री ले घूमते,
पेट भरे कर काज नहीं |
बिन डिग्री देश चलाते ,
जग में दूजा राज नहीं |
#अशोक महिश्वरे
गुलवा बालाघाट म प्र
#परिचय
नाम -अशोक कुमार महिश्वरे
पिता स्वर्गीय श्री रामा जी महिश्वरे
माता स्वर्गीय शकुंतला देवी महिश्वरे
जन्म स्थान -ग्राम गुलवा पोस्ट बोरगांव, तहसील किरनापुर जिला बालाघाट मध्य प्रदेश
शिक्षा स्नातकोत्तर हिंदी साहित्य एवं अंग्रेजी साहित्य ,बीटीआई व्यवसाय :मध्यप्रदेश शासन स्कूल शिक्षा विभाग में सहायक अध्यापक के पद पर वर्तमान में शासकीय प्राथमिक शाला टेमनी तहसील लांजी जिला बालाघाट मध्य प्रदेश में पदस्थ हूँ
लेखन विधा गद्य एवं पद्य
प्रकाशित पुस्तकें: प्रकाश काधीन १/साझा काव्य संग्रह २/नारी काव्यसंग्रह
प्रकाशक साहित्य प्रकाशन झुंझुनू राजस्थान
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Sun Jan 20 , 2019
बेटी कुमकुम है, रोली है,चन्दन की महक है, बाबुल के आँगन में खुशियों की चहक है। बेटी जहाँ भी हो, मेला सा लगता है, ससुराल की लक्ष्मी है, घुँघरू की खनक है।। बेटी बाबा की फिक्र, माँ का गुरुर है, भाई का अपनापा, पूरे घर का नूर है। बेटी साहस […]