हम भारत माँ के लाल

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ashok sapada
हम भारत माँ के लाल कैसे सह लेंगे अपमान
हमकों अपनी बेटियों में भी दिखता हिंदुस्तान
यादें कहती हमकों की चितौड़ हमारा सदा से
पंजाबी शौर्य गाथा गाते गुरु गोविंद जी महान
कभी अवंति बाई तो कभी लक्ष्मी बाई आती
धरती का प्यास बुझाने चलाती दोनो कृपाण
कभी मरकर भी मरतें नहीं शहिद यहां पर
बलिदानियों का देश सदा करता यहाँ सम्मान
गर कर्ण जैसे दानी हमने पैदा किया भारत मे
तो दानव बरबरीक मातृभूमि के देता शीशदान
अपने ही पौरष बल से छत्रपती का पद पाया
शिवाजी के आगे सर झुकाओ वर्ना दोगे प्राण
सदा ही लहराया भगवा शत्रुदल चकित करके
वीर माता जिजाऊ की थी फौलादी वो सन्तान
गद्दारों ने सदा ग़द्दारी की जयचंद अम्बी बनकर
पर मंगल किया मंगलपांडे ने देकर अपनी जान
खुदीराम चंदू आजाद भगतसिंह सब याद आते
माथे चंदन रक्त का करके करते शहीदों का ध्यान
हमें जन्म देने वाली भारत माता धन्यवाद तेरा है
जन गण मन के हम अधिनायक तुझपर कुर्बान
देश बांटो नहीं खण्ड खण्ड अपना ये कहतें है
वरना हम भारत के लाल ले लेंगे तुम्हारी जान
#अशोक सपड़ा हमदर्द
 
परिचय-दिल्ली निवासी अशोक सपड़ा हमदर्द जो 30 जनवरी 1977 को जन्में व इग्नु से स्नातक तक पढ़े जिनकी कई पत्र पत्रिकाओं में आलेख प्रकाशित होते है| अब तक दो काव्य संग्रह प्रकाशित हो चुके है|

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