बोझ बचपन का  

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alok premi
पहली बारिश में अपने तन-मन को भिगोता बचपन।
प्रेमी के प्यार से अपने आपको बढाता बचपन।
बोझ हंस-हंस के जिन्दगी का यूँ ढोता बचपन।
कहीं खाना परोसता,कहीं बर्तन धोता,
कहीं सडकों के फुट-पात पे यूँ अधनंग सोता।
खेल की उम्र में बचपन को खोता बचपन।
बोझ हंस-हंस के जिन्दगी का यूँ ढोता बचपन।
आग में जलते हैं और पानी में बह जाते हैं,
आए भुचाल तो घर पक्के के भी ढह जातें हैं।
दूर इस सोच से हो,चैन से सोता बचपन।
बोझ हंस-हंस के जिन्दगी का यूॅ ढोता बचपन।
#आलोक प्रेमी
 
परिचय- 
नाम-आलोक प्रेमी 
पिता-श्री परमानंद प्रेमी 
माता-श्रीमती गोदावरी देवी
स्थाई पता-ग्रा•+पो•-भदरिया 
थाना-अमरपुर 
जिला-बाँका(बिहार)
     813101
शैक्षणिक योग्यता-शोधार्थी नेट (हिन्दी)
अन्य-आकाशवाणी भागलपुर से नियमित रूप से स्वरचित कहानी/कविता/आलेख/वार्ता का प्रसारण। 
शौक-अच्छी किताबें खरीदने की 

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।