आरक्षण

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satendra mishra
नदारद नौकरी लेकिन आरक्षण पे हंगामा।
बने कुछ लोग दुर्योधन नेता सब शकुनि मामा।
करी हत्या है गायों की दिये हैं दान में जूते।
जिनके पास प्रतिभा है बढ़े हैं अपने बल बूते।
मामा जी ने डाला है मुँह में ऊँट के जीरा।
भला वह बाँझ क्या समझे क्या होती प्रसव-पीड़ा।
सवर्णों को बनाकर गेन्द मामा ने उछाला है।
बेकारी का मुद्दा देखो चालाकी से टाला है।
मामा की रहे कुर्सी सलामत चाल चल बैठे।
बड़ी ही होशियारी से सवर्णों को हैं छल बैठे।
सोना तो सोना रहे उसे भले दो तोड़।
सूरज ना बुझ पायेगा डालो धूप निचोड़।
मामा की चतुराई को समझ रहे हमलोग।
झांसे में उन्नीस में आएंगे कम लोग।।
#सत्येन्द्र मिश्र
परिचय-

सत्येन्द्र मिश्र  ग्राम-मझौलिया इस्टेट थाना-बथनाहा ज़िला-सीतामढ़ी(बिहार)पिन-843322

 जन्म तिथि–10/10/1959कलम(कविता)  मैं अपनी कलम पर मरता हूँ।

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