पठन पाठन का नाम बडे
फीस चौगूनी भरना पडे
हर दिन एक नई माँग बढे
पढाई को स्टैण्डर्ड कहना पडे।
क कारहा वर्तनी पहाडा
जो रटा जाता था
अब तो टीचरो की
जुवान पर भी टू वन जा टू कहना पडे।
गणित हो या ज्ञान
सब हो गये सामान्य
हाय हेलो बाय
बन गये हैं चौपाय।
पूरा गणित छान डाला
फिर भी न हल हुआ टू एक्सवायर
ऐसी तो पढाई तंत्र का
सामना करना पडे।
जिस स्कूल के बजते थे डंके
वहाँ टीचरो के आज लाले पडे
टीचरो के अभाव में
न जाने कितने स्कूलों में ताले पडे।
हजार हजार बच्चो को
दो चार शिक्षको को सम्भालना पडे
बदहाली की दास्ता
में भी दोगूनी फीस भरना पडे।
प्रतिस्पर्धा के इस युग में भी
कोटा से काम चलाना पडे
ज्ञान वाले पीछे हटे
अज्ञान को बढना पडे
मजबूर तंत्र सबको सहना पडे।
बढ रहा है
फाईलो का जखीरा
दफ्तरो में भी
काम काज सुस्त
और घीमा पडे
कब खुलेगी आँख तुम्हारी
सब कुछ मुझे ही कहना पडे।
“आशुतोष”
नाम। – आशुतोष कुमार
साहित्यक उपनाम – आशुतोष
जन्मतिथि – 30/101973
वर्तमान पता – 113/77बी
शास्त्रीनगर
पटना 23 बिहार
कार्यक्षेत्र – जाॅब
शिक्षा – ऑनर्स अर्थशास्त्र
मोबाइलव्हाट्स एप – 9852842667
प्रकाशन – नगण्य
सम्मान। – नगण्य
अन्य उलब्धि – कभ्प्यूटर आपरेटर
टीवी टेक्नीशियन
लेखन का उद्द्श्य – सामाजिक जागृति