मनुष्य की हार जीत का दारोमदार मनुष्य के मन पर ही है

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renu
मन के हारे हार है,मन के जीते जीत
आज सुबह जैसे ही उठी पता नहीं क्यों लगा कि कुछ अप्रिय घटना होने वाली है।
 मन डर गया पर मैंने कमर कस ली कि चाहे कुछ भी हो परिस्थितियों को अपने ऊपर हावी नहीं होने दूंगी।
 दृढ़ निश्चय किया कि आज के दिन को आनंद और उल्लास का दिन बनाकर दम लूंगी बस नकारात्मकता काफूर।
परिणाम यह हुआ कि आने वाली असफलता और संकट चाहकर भी पास नहीं आया क्योंकि मैंने अपने विचारों को अपने अनुकूल बना लिया।
जीवन में किसी भी कार्य को सफलतापूर्वक संपन्न करने के लिए जरूरी है कि आप दृढ़ इच्छा शक्ति को अपने पास रखते हैं।
 विघ्न बाधाएं तो जीवन में आती जाती रहती हैं, इन से घबराकर इन के समक्ष घुटने ना टेककर अपना काम त्यागने की मत सोचिए, ना ही संघर्ष से मुंह मोड़िए।
 -महान कवि ‘जगदीश गुप्त ने सच ही कहा  है —–
सच हम नहीं सच तुम नहीं
सच है महज संघर्ष ही
कांटे मिले कलियां खिले
 हारे नहीं इंसान संदेश जीवन का यही।
दृढ़ निश्चय के साथ चिड़चिड़ापन, निराशा,ईर्ष्या, चिंता जैसे बुरे नकारात्मक भावों को मन से बाहर निकालकर अपनी इच्छा शक्ति को सकारात्मकता का बल प्रदान कीजिए फिर देखिए आप जीत महसूस करेंगे।
 अपनी आकांक्षाओं और इच्छाओं को इसी सकारात्मकता के गुण से लंबा बनाइए । जीवन को कई खट्टे मीठे अनुभव से गुजरना पड़ता है जहां अच्छा वक्त हमें खुशी देता है वही बुरा वक्त हमें जीवन रूपी संग्राम में मजबूत बनाता है ।
हम अपनी जिंदगी की सारी घटनाओं को अपने अनुकूल नहीं बना सकते। जैसा हम चाहते हैं जिंदगी हमेशा वैसी नहीं हो सकती।  हंसाने और रुलाने का नाम ही जिंदगी है।
 जो किसी भी हाल में बिना घबराए हुए आगे बढ़ना जानते हैं, उन्हीं के आगे जिंदगी सिर झुका आती है।
 थोड़ी सी असफलता से हार मानकर नहीं बैठे वरन दुगने उत्साह के साथ अपने मन को मजबूत बनाएं और अपने आप से कहें कि यह काम करके ही दम लूंगा ।आज नहीं तो कल मैं अपना लक्ष्य पा कर ही रहूंगा।
 हमेशा कोशिश करिए।
 सफल होने की एक छोटी सी कोशिश आप में आशा की चिंगारी का प्रस्फुटन कर आगे बढ़ने को प्रेरित करती है।
 महान लोगों का उदाहरण अपने सामने रखिए। वे भी संघर्षों की कड़ी धूप में तपकर ही कंचन बनकर निकले हैं।
जब उनके रास्ते में बाधाएं आई तो उन्होंने अवसाद ग्रस्त हुए बिना अपनी सहनशीलता, इच्छाशक्ति और मनोबल से सफलता पाई।
 उदाहरणार्थ – अब्राहम लिंकन, विज्ञान क्षेत्र में एडिसन ऐसे न जाने कितने नाम है- जिन्होंने अपने अपने क्षेत्र में अपनी प्रबल इच्छाशक्ति और मन की मजबूती से विजय हासिल की। जीवन एक संग्राम है इसका मुकाबला कीजिए एक ध्येय चुनो और उसे पाने में पूरी शिद्दत के साथ जुट जाओ क्योंकि कष्ट पाए बिना कोई भी खुशी नहीं मिलती।
 कहा भी गया है—-
 लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती
कोशिश करने वालों की हार नहीं।
 हर जिंदगी को एक नया ख्वाब दो
चाहे पूरा ना हो पर आवाज दो
एक दिन पूरे हो जाएंगे सारे ख्वाब तुम्हारे
 सिर्फ एक शुरुआत तो दो ।
जिस तरह इंद्रधनुष बनने के लिए बारिश और धूप दोनों की जरूरत होती है उसी तरह पूर्ण व्यक्ति मतलब जिंदगी की धूप में तपने के लिए खट्टे-मीठे अनुभवों से गुजरना ही जीवन है। मन से मजबूत बनो,मन को अडिग रखो कभी भी अपने मन से मत हारो ।नहीं तो जीती हुई बाजी हार जाओगे।
#रेनू शर्मा*शब्द मुखर*
जयपुर

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आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।