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वैसे मिलने का मन तो रोज करता है लेकिन हमारी मुलाकात अधिकतर वीक एंड पर ही संभव होती थी। हर बार की तरह वहीं KST के किनारे पर मुलाकात हुई।
कुछ देर तक दो चार बातें हुई। पता नहीं क्यों आज वो ज्यादा ही खुश नजर आ रही थी,येलो सूट उस पर खूब जन्च रहा था । मै उसके हाथ में हाथ और नजरों में नजरें डालें बात कर रहा था ,मैंने कहा कहीं और दूसरी जगह चले घूमने। उसने कहा – हाँ,चलो पर चलना कहाँ है? यह तो बताओ। अच्छा तुम अदरक,पुदीने की स्पेशल चाय पिला रहे थे ना उसने कहा। अरे हाँ वह तो मेरी फेवरेट है , चलो फिर अभी पिला देते हैं। लगता है वो पागल चश्मिस भी चाय की ज्यादा ही शौकीन थी या फिर मेरे हाथ से बनी चाय पीना था। वह मेरे साथ बाइक पर बैठ गई और मैंने बाइक स्टार्ट की और रूम कि ओर बढ़ना शुरू किया। हमने रास्ते में रतलामी नमकीन वाले से नमकीन पैक करवाए, बातें करते हुए रूम पर पहुँच गए। जैसे ही उसने अंदर प्रवेश किया ,हाउ स्वीट यार ,गुलाब के फूलों को निहारने लग गई,मैंने गार्डन में दो कुर्सियां लगा दी और कहा आओ बैठो! मेरा मन नहीं कर रहा बैठने का मैं तो सेल्फी लूंगी ,आप चाय बनाओ ।मैंने कहा -अंदर आओ मैं तुम्हें भी स्पेशल चाय बनाना सिखाता हूँ।उसने गुलाब का फूल लिया ,हमने बातें करते हुए चाय बनाना शुरू किया । मैंने गैस चूल्हे को बिल्कुल कम करके उसके साथ तुलसी और पुदीने की पत्तियां लेने बाहर गया! मैंने तुलसी और पुदीने की दो -दो पत्तियां डाली और थोड़ा सा अदरक । फिर हम बाहर गार्डन में लगी कुर्सियों पर आमने -सामने बैठ गए, मेज पर रखी नमकीन के साथ मीठी-मीठी बातें शुरू हुईं कुछ देर में चाय तैयार हो गई! मैं चाय लेकर आया ,चाय की चुस्की के साथ रोमांस बढ़ता जा रहा था। आँखें -आँखों की बातें समझने लगी थी ।गुलाब की खुशबू में अदरक पुदीने की चाय की खुशबू घुलकर इश्क में बदल रही थी ।आज तो मैं तुम्हारी चाय की फैन हो गई , बड़े रेस्टोरेंट की चाय भी फीकी है यार तुम्हारी चाय के सामने उसने कहा! शुक्रिया डियर, मेरी चाय में इश्क, महोब्बत की खुशबू घुली है मैंने कहा ।अकेले कैसे रहते हो इतनी बड़ी जगह में ,मैंने कहा -तुम्हारी यादों के सहारे! गार्डन में फूलों के बीच हम रोमांटिक मूड में हो रहे थे दिल तो कर रहा था लिप लॉक किस करूं लेकिन दिल थाम रखा था फिर भी लिप और गालों पर तो kiss किया ही। मैंने कहा -जानू अंदर चले उसने मेरी तरफ घूर कर देखा लेकिन बिना कुछ कहे अन्दर आ गयी,मैने उसे हग किया तो वह दीवार के सहारे खड़ी हो गयी ! मैंने पूछा, गुस्सा हो क्या? उसने कुछ नहीं कहा बस मेरी नजरों मे नजरें डालें खड़ी रहीं !
नाम- ओम प्रकाश लववंशी
साहित्यिक उपनाम- ‘संगम’
राज्य- राजस्थान
शहर- कोटा
शिक्षा- बी.एस. टी. सी. , REET 2015/2018, CTET, RSCIT, M. A. हिन्दी , B. Ed.
कार्यक्षेत्र- अध्ययन, लेखन,
विधा -मुक्तक, कविता , कहानी , गजल, लेख, निबंध, डायरी
प्रकाशित रचना -( , चर्मण्यवती पत्रिका, कोटा मे
1. टोपा-टॉपर -लेपटॉप
2. मैं हूँ नन्हा सा परिन्दा
3. माँ चर्मण्यवती
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