एक ही प्रश्न 

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geeta diwedi
अपने पड़ोस के एक  वैवाहिक समारोह  में शामिल  अंजू  अपनी सहेलियों संग बातें करने में मगन थी , तभी सामने से आती सरिता चाची  ने उसे  टोका । ” अरे अंजू ! तुम  यहाँ ? तुम्हें तो  बीमार माँ के  पास होना चाहिए , बेचारी कभी चल भी नहीं सकतीं । ये आज – कल की लड़कियाँ भी न ।”  कहते हुए सरिता चाची आगे बढ़ गईं , पर उनकी बातें अंजू को तमाचे की तरह लगीं । अपनी आँखों को छलकने से बचाने का असफल प्रयास करती हुई वो अपने घर की ओर भागती चली गई । क्या दोष था उसका ? …… यही न , कि वह भी दूसरे बच्चों की तरह हँसना , बोलना और  खुश रहना चाहती थी । पर जहाँ भी जाती , उसे एक ही प्रश्न से दागा जाता …….. तुम्हारी माँ की तबीयत अब कैसी है ? धीरे – धीरे उसका लोगों से मिलना –  जुलना , कहीं आना – जाना कम होने लगा । अब अंजू किताबों के शब्दों में अपनी खुशी ढूंढने लगी । ये रास्ता उसे ज्यादा सुखद और सार्थक लगा । और एक फूल मुरझाने के बजाय दोगुने उत्साह से खिलकर अपनी सुंगध फैलाने लगा .. समाज में …..देश में ……।
श्रीमती गीता द्विवेदी 
सिंगचौरा(छत्तीसगढ़)
मैं गीता द्विवेदी प्रथमिक शाला की शिक्षिका हूँ । स्व अनुभूति से अंतःकरण में अंकुरित साहित्यिक भाव पल्वित और पुष्पीत होकर कविता के रुप में आपके समक्ष प्रस्तुत है । मैं इस विषय में अज्ञानी हूँ रचना लेखक हिन्दी साहित्यिक के माध्यम से राष्ट्र  सेवा का काम करना मेरा पसंदीदा कार्य है । मै तीन सौ से अधिक रचना कविता , लगभग 20 कहानियां , 100 मुक्तक ,हाईकु आदि लिख चुकी हूं । स्थानीय समाचार पत्र और कुछ ई-पत्रिका में भी रचना प्रकाशित हुआ है ।

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आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।