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जब चाहा दिल को तोडा ,
जब चाहा दिल को लगाया
पर जब लगा की तुम्हें हमसे मोहब्बत है ,
तुम्हारी बाँहों में किसी और को पाया
जब चाहा दिल को तोडा , जब चाहा दिल को लगाया
तुम कहते थे हमें ज़िन्दगी अपनी
हमने भी सौंप दी , तुम्हें हर सांस अपनी
फिर क्यों तुमने वफ़ाओं की फ़िज़ा में, बेवफाई का ज़हर मिलाया
जब चाहा दिल को तोडा , जब चाहा दिल को लगाया
हमने तुम्हें समझा अपना खुदा ,
तुम्हारे लिए हम हो गए खुद से भी ज़ुदा
लेकिन तुम्हारे दिल को तो हमेशा , कोई और ही भाया
जब चाहा दिल को तोडा , जब चाहा दिल को लगाया
अपने अस्तित्व को मिटा दिया ,तुम्हारे संसार को संजोया
अपने ख्वाबों के मोतियों को , उम्मीदों की माला में पिरोया
तोड़ दी माला उम्मीदों की तुमने , बिखरा दिए ख्वाबों के मोती सारे
नहीं देख पायी तुम्हारी मासूमियत में छुपा, बेवफाई का साया
जब चाहा दिल को तोडा ,जब चाहा दिल को लगाया
#रिंकल शर्मा
परिचय-
नाम – रिंकल शर्मा
(लेखिका, निर्देशक, अभिनेत्री एवं समाज सेविका)
निवास – कौशाम्बी ग़ाज़ियाबाद(उत्तरप्रदेश)
शिक्षा – दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक , एम ए (हिंदी) एवं फ्रेंच भाषा में डिप्लोमा
अनुभव – 2003 से 2007 तक जनसंपर्क अधिकारी ( bpl & maruti)
2010 – 2013 तक स्वयं का स्कूल प्रबंधन(Kidzee )
2013 से रंगमंच की दुनिया से जुड़ी । बहुत से हिंदी नाटकों में अभिनय, लेखन एवं मंचन किया । प्रसार भारती में प्रेमचंद के नाटकों की प्रस्तुति , दूरदर्शन के नाट्योत्सव में प्रस्तुति , यूट्यूब चैनल के लिए बाल कथाओ, लघु कथाओंं एवं कविताओं का लेखन । साथ ही 2014 से स्वयंसेवा संस्थान के साथ समाज सेविका के रूप में कार्यरत।
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