‘विश्व कविता दिवस २१ मार्च पर विशेष’
कुछ कविताओं के कोने लदे होते हैं दर्द के सलीबों से,
कुछ कविताएँ भरी होती हैं भाग्य के नसीबों से।
कुछ कविताएं अव्यक्त-सा भाव देकर शांत हो जाती हैं,
कुछ कविताएं सबकुछ व्यक्त कर अन्तर्मन में उतर जाती हैं।
कुछ कविताएं शोरगुल के भंवर में डूब कर अधूरी रह जाती है,
कुछ कविताएं षोडशी-सी सजी मन को लुभाती हैं।
कुछ कविताएं सुगन्धित-सी कर देती है मन को आनंदित,
कुछ कविताएं कर देती हैं अंतर्मन को मुदित।
कुछ कविताओं में होते हैं उलाहने,
कुछ कविताओं में होते हैं मायने।
कुछ कविताओं में होते हैं वर्तमान के प्रतिबिम्ब,
कुछ कविताओं में होते हैं भविष्य के बिम्ब।
कुछ कविताओं में खड़े होकर प्रश्न तलाशते हैं उत्तर,
कुछ कविताएँ सुलगती रहती हैं मन के भीतर।
कुछ कविताओं में होती है प्रभु की प्रार्थना,
कुछ कविताओं में होते हैं सत्य के संकेत और धर्म की भावना।
कुछ कविताएँ अश्लील कपड़े पहन नृत्य करती हैं बार बालाओं-सी,
कुछ कविताएँ सजी-धजी संस्कारित बहुओं की मुस्कान जैसी।
कुछ कविताएँ समेटे होती हैं भूत का दर्द,वर्तमान की लंकाएँ,
कुछ कविताओं में होती है भविष्य की ख़ुशी और आशंकाएं।
कुछ कविताएँ बाल मन को टटोलती किलकारियां भरती हैं,
कुछ कविताएँ आम आदमी के दर्द का बखान करती हैं।
कुछ कविताओं में चाँद और प्रेम पर लेटेे शब्दों की शहनाइयां हैं,
कुछ कविताओं में रिसते दर्द की रुसवाईयाँ हैं।
कुछ कविताओं में राजनीति के सरोकार होते हैं,
कुछ कविताओं में चरण धोते साहित्यकार होते हैं।
कुछ कविताओं में जंगल की कराह और मरते जानवर होते हैं,
कुछ कविताओं में दूषित पर्यावरण और सूखते कुएँ रोते हैं।
कुछ कविताओं का स्तर भू-जल से भी नीचे जाकर गिरता है,
कुछ कविताओं में विचारों का गन्दा पानी आ-आकर मिलता है।
कुछ कविताएं श्रृंगार के नाम पर अश्लीलता का बखान करती हैं,
कुछ कविताएं सिर्फ महिला-पुरुषों का बखान करती हैं।
कुछ कविताएं खुशबू-सी फैलकर मन पर छा जाती हैं,
कुछ कविताएं इत्र-सी महककर दिल में उतर जाती हैं।
कुछ कविताओं में देशभक्ति का स्वर होता है,
कुछ कविताओं से देश का नाम अमर होता है।
कुछ कविताएं खुद को लजाती हैं,
कुछ कविताएं वैमनष्यता फैलाती हैं।
कुछ कविताएँ त्योहारों का गुणगान करती हैं,
कुछ कविताएँ प्रकृति का बखान करती हैं।
कुछ कविताएं किसी को समझ में नहीं आतीं हैं,
कुछ कविताएँ स्वयं का अर्थ समझाती हैं।
कुछ कविताओं में विज्ञान की कहानी होती हैं,
कुछ कविताओं में शिक्षा सयानी होती हैं।
कुछ कविताएं समाज का दर्पण होती हैं,
कुछ कविताएँ वृद्धों की दशा पर रोती हैं।
कविताएँ भाषाओँ के मायने हैं,
कविताएँ संस्कृतियों के आईने हैं।
कविताएँ शब्दों,सुरों और भावों की आत्मा हैं,
कविताएँ सृष्टि के लिए साक्षात् परमात्मा हैं।
#सुशील शर्मा
परिचय : सुशील कुमार शर्मा की संप्रति शासकीय आदर्श उच्च माध्यमिक विद्यालय(गाडरवारा,मध्यप्रदेश)में वरिष्ठ अध्यापक (अंग्रेजी) की है।जिला नरसिंहपुर के गाडरवारा में बसे हुए श्री शर्मा ने एम.टेक.और एम.ए. की पढ़ाई की है। साहित्य से आपका इतना नाता है कि,५ पुस्तकें प्रकाशित(गीत विप्लव,विज्ञान के आलेख,दरकती संवेदनाएं,सामाजिक सरोकार और कोरे पन्ने होने वाली हैं। आपकी साहित्यिक यात्रा के तहत देश-विदेश की विभिन्न पत्रिकाओं एवं समाचार पत्रों में करीब ८०० रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं। इंटरनेशनल रिसर्च जनरल में भी रचनाओं का प्रकाशन हुआ है।
पुरस्कार व सम्मान के रुप में विपिन जोशी राष्ट्रीय शिक्षक सम्मान ‘द्रोणाचार्य सम्मान-२०१२’, सद्भावना सम्मान २००७,रचना रजत प्रतिभा