“आज विश्व गौरेया दिवस पर विशेष”
चोंच में दाना,
उठा उड़ी गोरैया..
चुगाती चूजे।
कब आओगी,
गौरैया मेरे द्वार..
दाना चुगने।
पेड़ पर है,
तिनकों का घोंसला..
गौरैया नहीं।
नन्हीं गौरैया,
फुदक-फुदक कर..
दाना चुगती।
मुन्ने के सिर
फुदक रहा चूजा..
प्रेम बंधन।
अंजुरी भर,
प्रेममयी गोरैया..
स्नेहिल स्पर्श।
#सुशील शर्मा
परिचय : सुशील कुमार शर्मा की संप्रति शासकीय आदर्श उच्च माध्यमिक विद्यालय(गाडरवारा,मध्यप्रदेश)में वरिष्ठ अध्यापक (अंग्रेजी) की है।जिला नरसिंहपुर के गाडरवारा में बसे हुए श्री शर्मा ने एम.टेक.और एम.ए. की पढ़ाई की है। साहित्य से आपका इतना नाता है कि,५ पुस्तकें प्रकाशित(गीत विप्लव,विज्ञान के आलेख,दरकती संवेदनाएं,सामाजिक सरोकार और कोरे पन्ने होने वाली हैं। आपकी साहित्यिक यात्रा के तहत देश-विदेश की विभिन्न पत्रिकाओं एवं समाचार पत्रों में करीब ८०० रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं। इंटरनेशनल रिसर्च जनरल में भी रचनाओं का प्रकाशन हुआ है।
पुरस्कार व सम्मान के रुप में विपिन जोशी राष्ट्रीय शिक्षक सम्मान ‘द्रोणाचार्य सम्मान-२०१२’, सद्भावना सम्मान २००७,रचना रजत प्रतिभा साहित्य सम्मान-२०१६ सहित शिक्षा गौरव सम्मान-२०१६
एवं स्वर्ण प्रतिभा साहित्य सम्मान २०१७ भी मिल चुका है।