माँ तेरे आँचल में छुपकर,
जब भी समय बिताया है..
मैंने खुद को स्वर्ग-सिंधु की,
अविरलता में पाया है
ममता रुपी चादर से जब भी,
खुद को ढँक लेता हूँ..
भूल स्वयं के संवेदन को,
लगता विश्व विजेता हूँ।
तेरी श्वेत सुखद पग रज से,
खुद का भाल सजाया है..
माँ तेरे आँचल…………..।।
नीरव से परिपूरित मैं,
तूने शब्दों का प्यार दिया..
प्रगति पंथ की सरिताओं संग,
चलने का अधिकार दिया..
तेरे आशीष और प्रेम का,
प्रतिपल मुझ पर साया है..
माँ तेरे आँचल…………।।
सुख-दुःख उन्नति अवनति को,
हर पल तेरा आभास रहा..
बचपन की यादों का घर,
आदिम होकर भी पास रहा..
तेरी हर कल्पित दूरी ने बहुधा,
मुझे सताया है..
माँ तेरे आँचल………….।।
#शिखर अवस्थी
परिचय : शिखर अवस्थी उत्तर प्रदेश के जिला सीतापुर स्थित ग्राम कोरार में रहते हैं।