करची की कलम

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aashutosh kumar
दुःखी होकर करची बोला, कलम से
जमाना बीत गया
जब छिलकर मुझे कलम बनाया जाता
नित्य लिखने के लिए
दवात में डूबोया जाता
शब्दों की लेखनी को आकर्षक
बनाने का कर्णधार मुझे बनाया जाता।
फिर वक्त बदला और
कलम तेरा जन्म हुआ
मेरी महत्ता घटती गयी
शब्दों की आकर्षकता, शालीनता
और लिखावट की सौन्दर्यता
भी पन्नों से हटती गयी।
आज तो न वो लिखावट है
न ही वो शब्दों की सजावट
न करची सी सीधे होने की नीयत
करची की उपयोगिता
तो अब डंडो में तब्दील हो गयी।
डंडा बनकर भी मै उपकार कर जाता
बूढो का सहारा और जीवन रक्षक बन ही जाता।
तू तो आधुनिक है,
कलम और दवात की जगह
अब लीड पेन आ गया
शब्दो का गूगल, कम्प्यूटर और
कट पेस्ट का आसान स्कीम आ गया
शब्दों की तो चोरी करने
तर्कहीन मशीन आ गया
तभी तो शब्दो में,
अल्हड़पन और ओछापन छा गया।
शिक्षकों के हाथो में जबतक रही करची
छात्रो की सभ्यता अलग ही झलकती रही
अब तो कोई छूता भी नही छड़ी
डर लगा रहता कोई हंगामा ना हो खड़ी
सिर्फ ड्यूटी करूँ अपना काम चल पड़ी।
लुप्त हो गयी वो गोल-गोल लिखावट
राइटिंग के नाम पर सिर्फ दिखावट
अब लाइन सीधी नहीं होती
अनुस्वार और विसर्ग की फजीहत नहीं होती।
छड़ी की डर अब रही नहीं
स्लेबस भी बदल गयी
मनमौजी कूटकूट कर भरी गयी
डर भय तो जैसे छुट ही गयी।

“आशुतोष”

नाम।                   –  आशुतोष कुमार
साहित्यक उपनाम –  आशुतोष
जन्मतिथि             –  30/101973
वर्तमान पता          – 113/77बी  
                              शास्त्रीनगर 
                              पटना  23 बिहार                  
कार्यक्षेत्र               –  जाॅब
शिक्षा                   –  ऑनर्स अर्थशास्त्र
मोबाइलव्हाट्स एप – 9852842667
प्रकाशन                 – नगण्य
सम्मान।                – नगण्य
अन्य उलब्धि          – कभ्प्यूटर आपरेटर
                                टीवी टेक्नीशियन
लेखन का उद्द्श्य   – सामाजिक जागृति

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आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।