Read Time2 Minute, 42 Second
राजा सिद्धार्थ के घर जन्में, माता जिनकी त्रिशला रानी।
उस वीर प्रभु की याद दिलाने, आई प्यारी रात दीवाली।।
सज रहे है महल अटारी, ग्राम नगर और कुण्डलपुर नगरी।
चौबीस दीपों के थाल सजाकर, मंगल स्वागत की तैयारी।।
जैनम् जयति शासनम् की, जय -जयकार करते नर नारी।
उस वीर——–
जैनियों के घर अलख जगाती, बनकर के दीपों की रानी।
जगमग करती दीप ज्योति, नव प्रकाश नवआशा भरती।।
अहिंसा का जिसने पाठ पढ़ाया, धन्य हुआ जग का प्राणी।
उस वीर प्रभु ———-
तीर्थंकर महावीर का संदेश यही है, अहिंसा परमो धर्म है।
मनुष्य जन्म से नहीं बनता है महान,महान बनाता कर्म है।।
‘जियो और जीने’ दो की दिव्य वाणी, मत भूलो रे प्राणी ।
उस वीर ———-
स्वाति नक्षत्र में कार्तिक अमावस्या, शुभ दिन हुआ चर्चित।
महावीर स्वामी का हुआ निर्वाण, जन-जन हुआ जग हर्षित।।
इस पावन दिन केवल, ज्ञानी बनें प्रथम गणधर गौतम स्वामी।
उस वीर——–
‘सपना’ श्रद्धा से दीप जलाकर कुण्डलपुर पावापुरी नगरी।
‘रिखब’ निर्वाण मोदक कर रहा है, प्रभु के चरणों में अर्पित।।
देव गुरू शास्त्र के चरणों में निशदिन जीवन हमारा समर्पित।
उस वीर——–
राजा सिद्धार्थ के घर जन्में, माता जिनकी त्रिशला रानी ।
उस वीर प्रभु की याद दिलाने, आई प्यारी रात दीवाली ।।
#रिखबचन्द राँका
परिचय: रिखबचन्द राँका का निवास जयपुर में हरी नगर स्थित न्यू सांगानेर मार्ग पर हैl आप लेखन में कल्पेश` उपनाम लगाते हैंl आपकी जन्मतिथि-१९ सितम्बर १९६९ तथा जन्म स्थान-अजमेर(राजस्थान) हैl एम.ए.(संस्कृत) और बी.एड.(हिन्दी,संस्कृत) तक शिक्षित श्री रांका पेशे से निजी स्कूल (जयपुर) में अध्यापक हैंl आपकी कुछ कविताओं का प्रकाशन हुआ हैl धार्मिक गीत व स्काउट गाइड गीत लेखन भी करते हैंl आपके लेखन का उद्देश्य-रुचि और हिन्दी को बढ़ावा देना हैl
Post Views:
559