तेरी यादों को दिल के कोने में सम्हाल के रख लिया,
जब भी तेरी याद आई उन पलों को याद कर लिया।
हसरतें तो बहुत थी तेरे संग जिंदगानी बिताने की,
तुम हो नहीं मेरे,ये सोच दिल पर पत्थर रख लिया।
दिल के इस झरोखे में तुमको कब से बिठाए हुए हैं,
मिलोगे न दोबारा सोच बीते पलों को कैद कर लिया।
माना घिरे होंगे जमाने की जगमग रोशनियों से तुम,
जो चुभने लगे उजाले तो दिया अपने घर जला लिया।
कोई तुम्हारा दिल दुखाए जब, कुछ भी समझ न आए,
चले आना मिलूंगी उसी मोड़ पर,जहां साथ था छूटा।
नहीं कहती रोज मुझे याद करो तुम दिल में जगह दो,
जब लगे खाली चले आना, दिल में तेरा घर कर लिया।
तुम्हें न पता हो शायद तुम क्या हो मेरे लिए हमदम,
अपने मन-मंदिर में बिठा के दिल का देवता बना लिया।
रोज जलाती हूँ मैं दिया मंदिर में इक तेरे ही नाम का,
जब तक है तन में जान,ये जीवन तेरे नाम कर दिया॥
#रश्मि ठाकुर
परिचय: रश्मि ठाकुर पेशे से शिक्षक हैं और कविताएँ लिखने का शौक है।आप मध्यप्रदेश के दमोह जिले के खमरिया(बिजौरा) में रहती हैं।लिखने का शौक बचपन से ही है,पर तब समय नहीं दे पाई। अब फिर से प्रेम विरह की रचनाओं पर पकड़ बनाई और प्रेम काव्य सागर से सम्मानित किया जा चुका है। पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित होती रहती है। सोशलिस्ट मीडिया पर भी आप सक्रिय हैं। रश्मि ठाकुर की जन्मतिथि-३ सितम्बर १९७७
तथा जन्म स्थान-खमरिया (दमोह) है। बी.ए.,एम.ए. के साथ ही बी.एड करके शिक्षा को कार्यक्षेत्र(स्कूल में सामाजिक विज्ञान की शिक्षिका)बना रखा है। आपके लेखन का उद्देश्य-झूठ छल फ़रेब औऱ अपने आसपास हो रही घटनाओं को नज़र में रखते हुए उनका वास्तविक चित्रण रचनाओं के माध्यम से करना है।