हरीतिमा सूर्य

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shashank mishra

एक पेड़ हमने है देखा

खिंची हुई सी लक्ष्मण रेखा

हरियाली का चोला डाले

पचा प्रदूषण हमको पाले।

उसके नीचे पन्थी गाएं

ऊपर पक्षी नीड़ बनाएं

चहचहाहट दिनभर गूंजे

रात सन्नाटा मधुर बनाएं।

ईश्वर का अनोखा दूत

हम सबका जीवन दाता

जन्म पाया दूसरों के लिए

अपने फल नहीं खाता।

इसके जीवित रहने से ही

देश हमारा समृद्ध बनेगा

होगा धरती का श्रृंगार

हरीतिमा का सूर्य उगेगा।

 

मानव होगा सावधान !

आज हमारी पृथ्वी के ऊपर

बढ़ रहा अत्याचार है

समस्त वन्य जातियां रोतीं

लकड़ी कटान बना व्यापार है।

प्राण वायु की चिन्ता न कर

स्वार्थ पूर्ति ही जो सेते हैं

रोपित करना भूल  से गए

रोपित काट वो देते हैं।

वन्य जीव वनस्पति का सन्तुलन

पर्यावरण हितकारी है

मानव भी जिस पर निर्भर

क्यों न आयी समझदारी है।

जितना सन्तुलन बिगड़ेगा

समस्यायें मानव की बढ़ेंगी

कठिन राह जीवन की होगी

कण्टकता प्रतिक्षण चढ़ेगी।

गंगा-यमुना की पावनता

दूषित दानव कब छोड़ेगा

मानव होगा सावधान !

अन्धस्वार्थता को तोड़ेगा।

#शशांक मिश्र

परिचय:शशांक मिश्र का साहित्यिक नाम `भारती` और जन्मतिथि १४ मई १९७३ है। इनका जन्मस्थान मुरछा-शहर शाहजहांपुर(उत्तरप्रदेश) है। वर्तमान में बड़ागांव के हिन्दी सदन (शाहजहांपुर)में रहते हैं। भारती की शिक्ष-एम.ए. (हिन्दी,संस्कृत व भूगोल) सहित विद्यावाचस्पति-द्वय,विद्यासागर,बी.एड.एवं सी.आई.जी. भी है। आप कार्यक्षेत्र के तौर पर संस्कृत राजकीय महाविद्यालय (उत्तराखण्ड) में प्रवक्ता हैं। सामाजिक क्षेत्र-में पर्यावरण,पल्स पोलियो उन्मूलन के लिए कार्य करने के अलावा हिन्दी में सर्वाधिक अंक लाने वाले छात्र-छात्राओं को नकद सहित अन्य सम्मान भी दिया है। १९९१ से लगभग सभी विधाओं में लिखना जारी है। श्री मिश्र की कई पुस्तकें प्रकाशित हैं। इसमें उल्लेखनीय नाम-हम बच्चे(बाल गीत संग्रह २००१),पर्यावरण की कविताएं(२००४),बिना बिचारे का फल (२००६),मुखिया का चुनाव(बालकथा संग्रह-२०१०) और माध्यमिक शिक्षा और मैं(निबन्ध २०१५) आदि हैं। आपके खाते में संपादित कृतियाँ भी हैं,जिसमें बाल साहित्यांक,काव्य संकलन,कविता संचयन-२००७ और अभा कविता संचयन २०१० आदि हैं। सम्मान के रूप में आपको करीब ३० संस्थाओं ने सम्मानित किया है तो नई दिल्ली में अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर वरिष्ठ वर्ग निबन्ध प्रतियोगिता में तृतीय पुरस्कार-१९९६ भी मिला है। ऐसे ही हरियाणा द्वारा आयोजित तीसरी अ.भा.हाइकु प्रतियोगिता २००३ में प्रथम स्थान,लघुकथा प्रतियोगिता २००८ में सर्वश्रेष्ठ प्रस्तुति सम्मान, अ.भा.लघुकथा प्रति.में सराहनीय पुरस्कार के साथ ही विद्यालयी शिक्षा विभाग(उत्तराखण्ड)द्वारा दीनदयाल शैक्षिक उत्कृष्टता पुरस्कार-२०१० और अ.भा.लघुकथा प्रतियोगिता २०११ में सांत्वना पुरस्कार भी दिया गया है। आप ब्लॉग पर भी सक्रिय हैं। आप अपनी उपलब्धि पुस्तकालयों व जरूरतमन्दों को उपयोगी पुस्तकें निःशुल्क उपलब्ध करानाही मानते हैं। आपके लेखन का उद्देश्य-समाज तथा देशहित में कुछ करना है।

 

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

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