रिश्ते नाते रीत प्रीत के,
खून का रिश्ता फीका हैं।
आभासी रिश्ते चलते हैं,
दूर का रिश्ता नीका है।
दूध का रिश्ता दूर हो रहा,
शीश पटल मोहताज हुए।
पास पड़ोसी अनजाने से,
अनजाने जन खास हुए।
भाई – भाई हुए अजनबी,
बहने बन गई परायी अब।
मात पिता पर्वत सम भारी,
रिश्तों की मनभाई अजब।
देश धरा घर रिश्ताई हाँफे,
नेताओं की गद्दारी हो गई।
सेना संग कृषिकर्म भुलाए,
श्रम से दूरी खुद्दारी हो गई।
स्वार्थ और आकर्षण बनते,
अब तो रिश्तों के आधार।
सब कुछ भूले भौतिकता में,
रिश्तों का होता व्यापार।
रिश्ता होता है माता का,
रक्त और दूध का सोता।
रिश्ता मातृभूमि का गहरा,
त्याग तपस्या का ही होता।
रिश्ता अपने देश से प्यारा,
तन मन की पावनता होता।
सबसे बढ़कर रिश्ता प्यारे,
मानव का मानवता होता।
नाम– बाबू लाल शर्मा
साहित्यिक उपनाम- बौहरा
जन्म स्थान – सिकन्दरा, दौसा(राज.)
वर्तमान पता- सिकन्दरा, दौसा (राज.)
राज्य- राजस्थान
शिक्षा-M.A, B.ED.
कार्यक्षेत्र- व.अध्यापक,राजकीय सेवा
सामाजिक क्षेत्र- बेटी बचाओ ..बेटी पढाओ अभियान,सामाजिक सुधार
लेखन विधा -कविता, कहानी,उपन्यास,दोहे
सम्मान-शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र मे पुरस्कृत
अन्य उपलब्धियाँ- स्वैच्छिक.. बेटी बचाओ.. बेटी पढाओ अभियान
लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः