कौन कौन कौन जात?

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आज दिन भर आराम करना है।।
शिमला की सड़कों पर घूमते रहे। आज सूट बूट भी थोड़े अच्छे वाले पहने है।आज कोई नही कह सकता कि ये पाँचों ईंट रेत और बजरी की ढुलाई करने वाले मजदूर हैं।
वैसे भी इन्हें कोई मजदूर कहे तो इन्हे  अच्छा नही लगता।
इनको सब ठेकेदार कहते हैं।छोटे छोटे ठेके लेते हैं पर फिर भी हैं तो ठेकेदार।। अधिकतर काम शाम के बाद करते हैं। रात भर कोई भीड़ भडाका या ट्रैफिक गाडी आदि भी नही होती।।पिछले दो दिन हर एक ने लगभग 4000 हजार कमाये हैं।। अब एक दिन का आराम तो बनता है।।मालरोड पर आइसक्रीम खाएंगे।।सुन्दर सुन्दर चेहरे देखेंगे।।
सभी घूम ही रहे थे की सोहणु का फोन बजा।।
ठेकेदार जी यहां गाँव में एक काम है।। करना है क्या?
हाँ जी कौन बोल रहे हैं।। किस गाँव में है काम?
में दुउनीचंद बोअल रा हूँ। यारा मेरे थोड़ी दिक्कत जैसी पड़ी है।। एक रोसोई बनाणी थी। वाँ लग गया थोड़ा पत्थर शा पिच्छे को।।
बस दो दिन का काम ऐ बे।।
कब आना है काम पर।।
बस कल इ आ जावो बे तबे।। बाकि लैण दैन यहीं कर लेंगे बे तब।। बस आप लक्कड़ बाजार से टू टू की तरफ आणा ।मैंने शमान को आणा है आपणी गाडी लेकर उसमें ही चलेंगे। कल 10 बजे आणा टु टु ।।
ठीक बाबू जी।।
सोहणु मोहणु रिखिया सुरेश और बलबीर पांचो अगले दिन टु टु पहुंचे । वहाँ से मालिक की गाड़ी में उनके गाँव पहुंचे।।
मालिक ने काम दिखाया। दोपहर का समय हुआ तो मालकिन ने पूछ लिया ।। बेटा हमारे न थोड़ा परहेज जरूरी है ।।आप बुरा नही मनणा।।
अरे नही माता जी हमे पता है।। बस जी दो लोग आपके साथ खाएंगे हम खायेंगे जी बरांडे में।।सबने खाना खाया और फिर काम पर लग गए।।
काम करते करते एक चट्टान पर चढ़ गया।। बाकियों ने रोका भी कि चट्टान गिर सकती है।पर समय को कौन जान पाया।। उसने ऊपर जाकर झब्बल से सामने का पत्थर हिलाया कि हाथ से झब्बल छूट गई।। उसका सन्तुलन भी बिगड़ा और पलक झपकते ही तले पर गिर गया।।दुर्भाग्य से वही पतथर जो उसने हिलाया था गिरकर उसके सर पर लगा।। अचानक से सबके होश उड़ गए।।उसे आनन फानन में मालिक की गाडी में IGMC में शिमला में भर्ती कराया गया।।खून बहुत बह चूका था।जैसे कैसे डॉ. ने सर में टँके लगाये और तुरन्त खून चढाने को कहा।।उसके ग्रुप का खून वहां उपलब्ध नही था।। बाकि चारों में से एक का खून मैच हो गया।। वह दो में से एक वही आदमी था जिन्होंने अंदर बैठ कर खाना खाया था।। बाकि सभी ने भी उसके इलाज के लिए अपने जेब खाली कर दिए। तीन सप्ताह बाद वह जब ठीक हुआ तो उसने उनके पैसे लौटाने चाहे तो सबने उसे कसम देकर मना कर दिया।।कहा अगर तू न बचता तो हम रुपयों का क्या करते।। हम भला क्या मुँह लेकर घर जाते।। तुम्हारे घर वालों को क्या जबाव देते।।
अब यह मत पूछना कि कौन कौन कौन जात का था।।
(बहकावे में ना आओ आपसी भाईचारा बनाओ)
#दिलीप वसिष्ठ

matruadmin

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संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।